हेरिटेज : दुनिया की सबसे लंबी नैरोगेज ट्रेन - जोड़ती है 250 गांवों को।
जानकरी स्त्रोत: पत्रिका ग्वालियर।
फोटो साभार: https://m.indiarailinfo.com/train/gallery/7744/7231/9620/1
1895 में शुरू की गई ट्रेन जय विलास पैलेस से निकलकर मोतीमहल होते हुए शिवपुरी तक जाती थी।
शहर के आसपास के जिलों में यात्रा करने का सबसे सुगम जरिया नैरोगेज ट्रेन ही है। जो यहां के इतिहास को 100 साल से भी अधिक समय से सहेज रही है।1895 में शुरू की गई ट्रेन जय विलास पैलेस से निकलकर मोतीमहल होते हुए शिवपुरी तक जाती थी। उस समय इसका निर्माण सिंधिया वंश के तत्कालीन महाराजा माधवराव सिंधिया ने कराया था। वे इसका उपयोग शिकार खेलने जाने के लिए करते थे। उसी समय जारी एक लेटर में यह कहा गया है कि 1904 और 1911 में भारत आए ब्रिटेन के तत्कालीन राजा जॉर्ज प्रथम ने दो बार नैरोगेज से यात्राएं की थीं। इस दौरान उनकी रानी क्वीन मेरी भी उनके साथ थीं।
कोल इंजन का होता था उपयोग
नैरोगज की जब शुरूआत हुई थी, तब इसे सिंधिया स्टेट रेलवे ग्वालियर कहा जाता था। उस समय इसे चलाने के लिए कोयले के इंजन का उपयोग होता था। जब देश आजाद हुआ तब इंडियन रेलवे ने डीजल रेल इंजन यानि डीआरसी नाम दिया। इसे कूनो कुमारी एक्सप्रेस के नाम से भी जाना जाता रहा है। पहले ये शिवपुरी तक ही जाती थी, लेकिन आजादी के बाद इसे श्योपुर तक बढ़ाया गया और भिंड की सवारियों को भी ये ले जाती थी।
ऎसे पड़ा नैरोगेज नाम
इसमें प्रयोग किए गैज रेलवे में प्रयुक्त सबसे छोटे गैज थे। इसलिए इसका नाम नैरोगेज पड़ा। इसकी चौड़ाई दो फीट यानि 0.610 मीटर है। अपनी शुरूआत से 30 जून 1935 तक ये ग्रेट इंडियन पेनेसुएला कंपनी के नियंत्रण में संचालित होती थी। 1 अप्रैल 1950 में इसे भारत सरकार ने अपने अधीन कर लिया।
199.8 किलोमीटर की दूरी करती है तय
नैरोगेज 28 स्टेशनों के 250 गांवों को सीधे जोड़ती है। ये दुनिया का सबसे लंबा नैरोगेज ट्रेक है। तीन पेयर में ये ट्रेन 35 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से भागती है।
हेरिटेज की दृष्टि से महत्वपूर्ण
नैरोगेज ऎतिहासिक दृष्टि से जितनी महत्वपूर्ण है। उतनी हेरिटेज के तौर पर भी है। ग्वालियर और इसके आसपास के उन्नत संस्कृति का प्रतीक इसे कहा जा सकता है।
यात्राओं के दौरान सबसे ज्यादा खर्चा होता है रुकने के स्थान पर, कई बार काफी ज्यादा खर्चा करने के बावजूद हमें रुकने का सही स्थान नहीं मिल पाता तब और ज्यादा समस्या होती है। रुकने के सबसे सस्ते साधन होते होते हैं ट्रस्ट द्वारा संचालित किये जा रहे होटल या धर्मशाला, जिनमें आपको सभी जरुरी सुविधाएं काफी कम पैसे में उपलब्ध हो जाती हैं। मगर समस्या ये ही की ऐसे होटल और धर्मशालाएं इंटरनेट पर किसी एक जगह उपलब्ध हैं या नहीं इसी खोजबीन में मुझे एक वेबसाइट हाथ लगी है जिसमें पूरे भारत में ट्रस्ट द्वारा संचालित किये जा रहे होटल और धर्मशालाओं की लिस्ट, उनके पते, रेट और उन्हें बुक करने की भी सुविधा है, और वो वेबसाइट है: यात्राधाम
एक सुबह यूँही बैठे बैठे मध्यप्रदेश टूरिज्म की वेबसाइट पर कुछ नया देखने के लिए गया तो वहाँ मध्यप्रदेश की अलग अलग जगहों के बारें में पढ़ने को मिला, वो पढ़ते पढ़ते मेरे मन में कहीं एक कविता की कुछ लाइन गूँजने लगी, मैंने उन लाइन को जोड़ते जोड़ते मध्यप्रदेश की घुमक्कड़ी वाली तमाम जगहों पर एक कविता लिख दी, जो की ये है:
हिंदुस्तान का दिल, ये मेरा मध्यप्रदेश है,
इसके दक्षिण में है महाराष्ट्र और आन्ध्रप्रदेश,
उत्तर में है राजस्थान और उत्तरप्रदेश,
पूर्व में है बिहार और ओड़िशा,
और पश्चिम में गुजरात है,
ये ऐसा सुन्दर प्रदेश है,
हिंदुस्तान का दिल, ये मेरा मध्यप्रदेश है।
बारहसिंगा इसका राष्ट्रीय पशु,
इस धरा को पवन करती "नर्मदा" है,
ये ऐसा सुन्दर प्रदेश है,
हिंदुस्तान का दिल, ये मेरा मध्यप्रदेश है।
जहाँ एक तरफ "ग्वालियर" का मजबूत किला है,
वहीँ दूसरी तरफ राम लला का "ओरछा" में दरबार है,
जहाँ न कोई राजा, न कोई रंक है, सब राम लला की प्रजा है,
ये ऐसा सुन्दर प्रदेश है,
हिंदुस्तान का दिल, ये मेरा मध्यप्रदेश है।
जहाँ "मांडू" में एक जहाज़ महल है,
और "चंदेरी" की साड़ियां पूरे विश्व में जानी जाती हैं,
वही चंदेरी जिसकी बावड़ियां भी जानी जाती हैं,
ये ऐसा सुन्दर प्रदेश है,
हिंदुस्तान का दिल, ये मेरा मध्यप्रदेश है।
जहाँ "साँची" के बौद्ध स्तूप को देखने दुनिया भर से लोग आते हैं,
वहीँ "विदिशा" से कर्क रेखा गुज़रती है ये कम ही लोग जानते हैं,
ये ऐसा सुन्दर प्रदेश है,
हिंदुस्तान का दिल, ये मेरा मध्यप्रदेश है।
जहाँ "उज्जैनी" को पावन करती छिप्रा की पावन धारा है,
यहाँ लगने वाला कुम्भ मेला दुनिया में न्यारा है,
महाकाल की इस नगरी में काल भैरव का भी वास है,
वहीँ दूसरी तरफ "देवास" की टेकरी में देविओं का वास है,
ये ऐसा सुन्दर प्रदेश है,
हिंदुस्तान का दिल, ये मेरा मध्यप्रदेश है।
जहाँ "जबलपुर" का भेड़ाघाट पर्यटकों को लुभाता है,
वहीँ "दुमना" नेशनल पार्क हमको बहुत भाता है,
ये ऐसा सुन्दर प्रदेश है,
हिंदुस्तान का दिल, ये मेरा मध्यप्रदेश है।
जहाँ एक ओर "पचमढ़ी" सतपुरा की रानी है,
और शिवजी से जुडी यहाँ की बहुत सी कहनी है,
वहीँ दूसरी तरफ "पेंच" और "बांधवगढ़" शेरों के लिए जाने जाते हैं,
ये ऐसा सुन्दर प्रदेश है,
हिंदुस्तान का दिल, ये मेरा मध्यप्रदेश है।
जहाँ "खजुराहो" में बारह मासी विदेशिओं का जमघट है,
वहीँ "कान्हा" में एक अलग ही शांति का मंजर है,
जहाँ की शिल्प कला पूरी दुनिया को अपनी ओर आकर्षित करती है,
ये ऐसा सुन्दर प्रदेश है,
हिंदुस्तान का दिल, ये मेरा मध्यप्रदेश है।
जहाँ एक तरफ "अमरकंटक" तीर्थराज कहलाता है,
वहीं से निकलती नर्मदा की पावन धारा है,
इस धरती पर संत कबीर जैसे संत हुए,
ये ऐसा सुन्दर प्रदेश है,
हिंदुस्तान का दिल, ये मेरा मध्यप्रदेश है।
"कामदगिरि" में जहाँ स्वयं भगवान घुमा करते थे,
जहाँ आज भी कल कल बहती हनुमान धारा है,
राम भगवान के वनवास की गवाही देता "चित्रकूट" है,
ये ऐसा सुन्दर प्रदेश है,
हिंदुस्तान का दिल, ये मेरा मध्यप्रदेश है।
जहाँ के जंगल आज भी बहुत कम लोगों ने देखे हैं,
जहाँ ऊंचाई से देखने पर दिखती घोड़े की नाल जैसी आकृति है,
ये कोई और जगह नहीं, ये "तामिआ" नगर है,
ये ऐसा सुन्दर प्रदेश है,
हिंदुस्तान का दिल, ये मेरा मध्यप्रदेश है।
जहाँ "ॐ कारेश्वर" में नर्मदा बहती ॐ आकार में हैं,
ॐ कारेश्वर में शिवजी का ज्योतिर्लिंग है,
वहीँ "महेश्वर" की माहेश्वरी साड़िओं की अलग पहचान है,
ये ऐसा सुन्दर प्रदेश है,
हिंदुस्तान का दिल, ये मेरा मध्यप्रदेश है।
जहाँ "मंदसौर" में पशुपतिनाथ मंदिर पर्यटकों को लुभाता है,
वहीँ दूसरी तरफ "पन्ना" का राष्ट्रीय उद्यान शेरों और झरनों के दर्शन कराता है,
ये ऐसा सुन्दर प्रदेश है,
हिंदुस्तान का दिल, ये मेरा मध्यप्रदेश है।
जहाँ एक तरफ "दातिया" में माँ पीतांबरा का वास है,
वहीं दूसरी तरफ "सतना" में "मैहर की माता" हैं,
जहाँ "दतिया" का किला अपने आप में कुछ खास है,
वहीँ दूसरी तरफ इसे "लघु वृन्दावन" भी कहा जाता है,
ये ऐसा सुन्दर प्रदेश है,
हिंदुस्तान का दिल, ये मेरा मध्यप्रदेश है।
जहाँ एक ओर "ग्वालियर" में आज भी तानसेन के राग गूंजते हैं,
वही दूसरी तरफ "सनकुआ" में ब्रह्मा जी के मानस पुत्र सिंध नदी के तट पर मंदिर में विराजमान हैं,
जहाँ "रतनगढ़ की माता" पर होते चमत्कार हैं,
ये ऐसा सुन्दर प्रदेश है,
हिंदुस्तान का दिल, ये मेरा मध्यप्रदेश है।
जहाँ एक तरफ "हनुवंतिया" आपको कराता सागर के बीच एक टापू का एहसास है,
वहीं दूसरी तरफ "इंदौर" का पातालपानी और तिंछा वॉटरफॉल कुछ खास है,
"छप्पन" के पकवान हों या "रतलाम" की नमकीन, या हो "मुरैना" की गज़क, इनका स्वाद ही निराला है,
ये ऐसा सुन्दर प्रदेश है,
हिंदुस्तान का दिल, ये मेरा मध्यप्रदेश है।
मध्यप्रदेश में घूमने लायक जगहों की लिस्ट।
फोटो पचमढ़ी की यात्रा के दौरान लिया गया था।
मितावली (एकतारेश्वर महादेव मंदिर)
यह स्थल मुरैना मुख्यालय से 45 कि0मी0 दूरी पर स्थित है। इस मंदिर को चैसठ योगिनी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर पहाडी पर गोलाकार बना हुआ हैै। इसमें गोलाई में कमरे बने हुए है जिनमें एक-एक शिवलिंग वर्तमान में रखा हुआ है। उसमे सामने गोलाकार गलियारा है। मंदिर के बीचो बीच एक बड़ा शिवलिंग स्थित है। यहाॅ पर तंत्र क्रिया करने का एक केन्द्र रहा है। गोलाकार होने से यह मंदिर दिल्ली स्थित संसद की तरह दिखता है।
Information and image source: http://morena.nic.in
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