किन्ही कारणों से अभी ये ब्लॉग इंग्लिश भाषा में उपलब्ध नहीं है। बहुत जल्द इंग्लिश भाषा में भी उपलब्ध कराने का प्रयास करूँगा।
For some reason this blog is not available in English. I will try to make it available in English soon.
पिछले काफी दिनों से मन था ओरछा जाकर रामराजा के दर्शन करने का, और कुछ देर वहाँ बेतवा नदी के घाट पर यूँही पड़े रहने का। मैं इसके पहले 3 बार ओरछा हो आया था, पहली बार स्कूल के कुछ दोस्तों के साथ गया था 11 क्लास में था, फिर बीसीए के प्रथम सेमेस्टर में बाइक से कुछ दोस्तों के साथ होकर आया था और उसके बाद आखिरी बार 2014 में ऑफिस के कुछ काम से झाँसी के केंद्रीय विद्यालाय जाना हुआ था तब एक घण्टे का समय निकाल कर बेतवा नदी के घाट जाकर स्नान किया था। मगर इन तीन में से एक बार भी ऐसे समय पर जाना नहीं हुआ की रामराजा के दर्शन हो पाते, तो इस बार मन था रामराजा के दर्शन का। करीब 6 8 महीने प्लानिंग करता रहा, जब भी नॉएडा से घर जाता तो यी सोचकर जाता की एक दिन अतिरिक्त लेकर जाऊँगा और ओरछा होकर आऊँगा मगर घर के कामों में लगने के बाद कभी भी वो समय मिल नहीं पाया मगर रामराजा के दर्शन को मन विचलित था।
इसी क्रम में पिछली बार जब फरवरी में घर गया तो वो एक अतिरिक्त दिन निकाल ही लिया और फिर मैंने कुछ दोस्तों से पूछा की कोई मेरे साथ चलने को तैयार हो तो उस हिसाब से प्लान बनाया जाये। एक दोस्त तैयार हुआ और प्लान बना बाइक से जाने का, मगर वो प्लान किसी कारण से कैंसिल हो गया। मैंने मन में सोच रखा था कोई जाए या न जाये में इस बार रामराजा के दर्शन कर के ही आऊँगा। एक पुराने दोस्त से बात की तो वो अगले दिन चलने को तैयार हो गया मगर यात्रा का माध्यम ट्रैन होगी, और अगर सुबह कोई ट्रैन न मिली तो बाइक से निकल जाएंगे। यही सब सोचकर रात में खा पीकर सोने चल दिए, सुबह जिस हिसाब से उठेंगे उस हिसाब से देख लेंगे की कैसे जाना है।
सुबह 6 बजे मेरी आँख खुली और में उठकर तैयार होने चल दिया, तैयार होकर अपने दोस्त को भी उठा दिया और वो भी अगले आधा घण्टे में तैयार हो गया था। ट्रैन की टाइमिंग देखी तो 08:30 बजे के आसपास एक ट्रैन दिख रही थी, हम लोग उसी के हिसाब से चाय नाश्ता करके 07:45 पर घर से बाइक से निकल दिए, अगर ट्रैन न मिली तो फिर इसी बाइक से चल देंगे ऐसा प्लान था। ग्वालियर स्टेशन पहुँच कर बाइक पार्किंग में खड़ी करके वहाँ मौजूद बंदे से ट्रैन के बारे में पुछा तो उसने कहा अभी 15 20 मिनट हैं आपको आराम से ट्रैन मिल जाएगी। स्टेशन के अंदर पहुँच कर 2 सुपरफास्ट के टिकट लिए ताकि किसी भी ट्रैन से सफर क्र सकें और प्लेटफार्म की तरफ चल दिए। नियत समय पर ट्रैन आयी और हमें जनरल में आमने सामने वाली 2 सीट मिल गयीं और फिर शुरू हुआ पुराने दौर की यादों और बातों का सिलसिला।
जैसे ही ट्रैन शहर से बाहर निकली ठण्ड एक दम बढ़ गयी और कुछ जगहों पर कोहरा भी अच्छा खासा था तो ट्रैन अपने नीयत समय से कुछ देरी से चल रही थी और करीब पौन घण्टे की देरी से हम लोग झॉंसी स्टेशन पहुँच गए थे। स्टेशन पर एक दो लोगों से पूछकर उस तरफ से बाहर निकले जिधर से हमें ओरछा के लिए ऑटो मिलना था। बाहर बहुत सरे ऑटो वाले खड़े थे उनमें से मैंने एक से बात की तो वो 250 रु माँग रहा था हमें ओरछा तक ले जाने के, थोड़े मोलभाव के बाद 200 रु तय हुए मगर रास्ते में कोई सवारी मिलती है तो ऑटो वाला उन्हें बैठा लेगा जिसमें हमें कोई एतराज नहीं था। और अगले 10 मिनट में हम लोग शहर की रोड़ पर तेज गति से आगे बढ़ रहे थे और फिर आखिर कर उस रोड पर पहुँच गए जहाँ से एक रोड कानपुर और रोड ओरछा के लिए निकल जाता है जो आगे टीकमगढ़ भी जाता है। ये रोड काफी हद तक खाली था और करीब आधा घण्टे के ऑटो के सफर के बाद हम लोग ओरछा पहुँच गए थे।
प्रथम दर्शन।
ओरछा मानचित्र।
इस समय बहुत जोरों की भूख लगी थी तो मन हुआ की सबसे पहले कुछ खाया जाये मगर उसके पहले हमें मंदिर के खुलने और बंद होने का समय पता करना था ताकि ऐसा न हो की इस बार भी बिना दर्शन के वापिस जाना पड़े। मंदिर के समीप पहुँचकर मैंने वहाँ मौजूद कुछ पुलिस कर्मियों से मंदिर के खुलने और बंद होने का समय पता किया तो मालूम चला की अभी एक घंटे तक मंदिर खुला है। मेरा मन था कुछ खा लिया जाये मगर दोस्त कहने लगा की पहले दर्शन करते हैं फिर कुछ खाएँगे तो फिर इसी हिसाब से हम लोग मंदिर की तरफ चल दिए और वहाँ पर जो काफी दुकानें थीं उनमें से एक पर से पूजा का सामान लिया और जूते और बैग वहीं रखकर मंदिर दर्शन को चल दिए।
रामराजा दरबार।
ओरछा के बारे में: साभार विकिपीडिया
इसका इतिहास 15वीं शताब्दी से शुरू होता है, जब इसकी स्थापना रुद्र प्रताप सिंह जू बुन्देला ने की थी जो सिकन्दर लोदी से भी लड़ा था इस जगह की पहली और सबसे रोचक कहानी एक मंदिर की है। दरअसल, यह मंदिर भगवान राम की मूर्ति के लिए बनवाया गया था, लेकिन मूर्ति स्थापना के वक्त यह अपने स्थान से हिली नहीं। इस मूर्ति को मधुकर शाह बुन्देला के राज्यकाल (1554-92) के दौरान उनकी रानी गनेश कुवर अयोध्या से लाई थीं। रानी गनेश कुंवर वर्तमान ग्वालियर जिले के करहिया गांव की परमार राजपूत थीं। चतुर्भुज मंदिर बनने से पहले रानी पुख्य नक्षत्र में अयोध्या से पैदल चल कर बाल स्वरूप भगवान राम(रामराजा)को ओरछा लाईं परंतु रात्रि हो जाने के कारण भगवान राम को कुछ समय के लिए महल के भोजन कक्ष में स्थापित किया गया। लेकिन मंदिर बनने के बाद कोई भी मूर्ति को उसके स्थान से हिला नहीं पाया। इसे ईश्वर का चमत्कार मानते हुए महल को ही मंदिर का रूप दे दिया गया और इसका नाम रखा गया राम राजा मंदिर। आज इस महल के चारों ओर शहर बसा है और राम नवमी पर यहां हजारों श्रद्धालु इकट्ठा होते हैं। वैसे, भगवान राम को यहां भगवान मानने के साथ यहां का राजा भी माना जाता है, क्योंकि उस मूर्ति का चेहरा मंदिर की ओर न होकर महल की ओर है।आज भी भगवान राम को राजा के रूप में(राम राजा सरकार) ओरछा के इस मंदिर में पूजा जाता है और उन्हें गार्डों की सलामी देते हैं।
कब जाएँ: ओरछा और इसके आसपास के इलाके में गर्मी बहुत ज्यादा पड़ती है तो गर्मीओं के मौसम के जाने का प्लान न ही करें तो बेहतर होगा।
कैसे जाएँ: देश के हर कौने से झाँसी जंक्शन रेलवे स्टेशन के लिए ट्रैन उपलब्ध है, और रेलवे स्टेशन से ओरछा के लिए शेयरिंग और रिज़र्व ऑटो या टैक्सी आसानी से मिल जाती है।
ओरछा का किला।
रामराजा के दर्शन को लाइन लगी हुई थी जिसमें हम भी लग गए और अगले 10 मिनट में हम रामराजा के समक्ष थे, मंदिर के सामने 2 वर्दीधारी जवान बन्दूक लिए सलामी की मुद्रा में खड़े थे, मैं कुछ देर शांत मन से मूर्ति को निहारता रहा और फिर पुजारी जी के कहने पर लाइन में आगे बढ़ दिया। लाइन से आगे बढ़ते हुए मंदिर के सामने हॉल में कुछ देर बैठा रहा और फिर वहाँ से उठकर प्रसाद वाले काउंटर से प्रसाद लेने के लिए पर्ची कटवाई और प्रसाद का डिब्बा लेकर मंदिर के बाहर पहुँच गए।
अभी हम लोग उस दुकान पर थे जहाँ हमने जूते और बैग रखा था और वहीं पास में एक दुकान पर गरमागरम पूरी और आलू की सब्जी की महक आ रही थी, दुकानदर हमें देख रहा था और हम उसे, बस इशारा कर दिया की निकालो पूड़ियाँ और वहाँ रखी बेंच पर बैठ गए। 2 आलू की सब्जी, 2 रायता के दोने और अखबार पर पूड़ियाँ रख दी गयीं और हमने पूड़ियाँ खानी शुरू कर दीं। दुकानदार समझ गया था की हम लोग प्लेट के हिसाब से खाने वाले नहीं हैं और वो हर 2 मिनट में पूड़ियाँ देता जा रहा था और हम निपटाते जा रहे थे, साथ में सब्जी और रायते की निरंतर सप्लाई चालू थी। कुल मिलकर हमने 120 रु की पूरी सब्जी खा लीं थीं जो शायद 25 या 30 रु की प्लेट के हिसाब से थीं जिसमें 4 पूड़ी, सब्जी रायता था।
बेतवा नदी और उस पर बना पुल (रपट)।
अब हम मंदिर से बाहर निकले और बाहर एक चाय की दुकान पर कुल्हड़ वाली चाय का आनंद लिया और फिर चल दिए बेतवा नदी के घाट की तरफ, यहाँ आने का एक कारण ये नदी का घाट भी था। यहाँ पर बेतवा नदी पर एक छोटा सा पुल है जो नदी के चढ़ने पर डूब जाता है, ऐसे पुलों को "रपट" भी कहा जाता है। इस रपट के बाएं हाथ पर नदी के घाट से किला दिखाई देता है और दाएं हाथ पर कुछ बहुत ही शानदार घाट बने हुए हैं और उनके पीछे बनी हुईं है कुछ बेहद ही खूबसूरत छतरियाँ जो की इन घाटों की खूबसूरती में चार चाँद लगाती हैं। आज के दिन में यहाँ इस रपट पर लोहे की रेलिंग लगाने का काम चल रहा था। हम बाएं हाथ पर बने नदी के घाट की तरफ चल दिए, इस समय नदी में पानी बहुत कम था तो नदी के बीच में पड़े हुए बहुत से बड़े बड़े पत्थर टापू की तरह दिखाई दे रहे थे, हम उनमें से एक पत्थर पर बैठ गए।
सुकून - हर इंसान की सुकून की परिभाषा अलग अलग होती है, मेरी लिए ऐसे मौकों पर सुकून का मतलब है नदी के बहते पानी में किसी पत्थर पर घण्टों बैठना तो इस हिसाब से मैं अभी यहाँ तक जिस सुकून की तलाश में आया था में उन लम्हों को जी रहा था। ओरछा भी अब पहले से काफी बदल चका था, अब यहाँ कुछ नए रेस्टॉरेंट और कुछ दुकानें जहाँ से आप साइकिल किराए पर लेकर आसपास का इलाका घूम सकते हैं. बाकि मध्यप्रदेश टूरिज्म की तरफ से यहाँ राफ्टिंग काफी पहले से होती है।
नदी में पानी कम होने की वजह से हम लोग बड़े आराम से नदी के अंदर जहाँ तक हमें समतल जमीन दिख रही थी वहाँ तक गए। फिर कुछ देर उस पत्थर पर पड़े धूप सेंकते रहे, पुरानी यादों के किस्से कहानियों का दौर भी चालू था। इसी बीच मुझे वहाँ कुछ गोल पत्थर दिखाई दिए तो मुझे उनसे पत्थरों को एक के ऊपर एक रखकर बैलेंसिंग रॉक्स बनाने का मन हुआ तो मैं कुछ देर उसमें लगा रहा और कुछ 5 6 पत्थरों की मीनार बना भी दी।
यहाँ बैठकर सामने नदी और उसके छोर पर बन हुआ किला देखना बहुत सुकून दे रहा था और इन सब में पता ही नहीं लगा की कब 2 घण्टे से ऊपर बीत चुके थे। आधा घंटा और फिर हमें यहाँ से वापिस निकलना था, इस आधा घण्टे में हम दोनों ने वहाँ पर पड़े हुए शीशे की तरह दिखने वाले रंग बिरंगे पत्थर इकट्ठे किये और उन्हें अपने साथ लेकर आने का निर्णय लिया और इस तरह अगला आधा घण्टा हमने व्यतीत किया और फिर चल दिए वापिस मंदिर की तरफ। मंदिर के पास जो ऑटो स्टैंड था वहांपर एक ऑटो तैयार खड़ा था जिससे हम झाँसी शहर तक पहुँचे और फिर वहाँ से रेलवे स्टेशन। और इस यात्रा को यहाँ समाप्त करता हूँ।
फिर मिलेंगे कहीं किसी रोज़ घूमते फिरते।
#MP_ka_blogger
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Location: Rishikesh, Uttarakhand, India
Published On: 16-Mar-2021
Location: Morey Plains to Leh
Published On: 24-Nov-2019
Location: Jispa, Himachal Pradesh to Morey Plains
Published On: 09-Nov-2019
Location: Rohtang Pass to Jispa
Published On: 22-Sep-2019
Location: Manali, Himachal Pradesh, India
Published On: 01-Sep-2019
Location: Ladakh
Published On: 25-Aug-2019
Location: Sri Aadi Badrinath Dham Road, Alipur, Rajasthan, India
Published On: 02-Jul-2019
Location: Agra, Uttar Pradesh, India
Published On: 24-May-2019
Location: Kalyasaur, Uttarakhand, India
Published On: 08-May-2019
Location: Dhokane Waterfall, Dhukane, Uttarakhand, India
Published On: 03-May-2019
Location: Rishikesh, Uttarakhand, India
Published On: 19-Apr-2019
Location: Indian Institute of Advanced Study, Shimla
Published On: 08-Apr-2019
Location: Army Heritage Museum, Annadale Rd, Annadale, Shimla, Himachal Pradesh 171003
Published On: 29-Mar-2019
Location: Mall Road, The Mall, Shimla, Himachal Pradesh, India
Published On: 22-Mar-2019
Location: Jakhu, Shimla, Himachal Pradesh, India
Published On: 17-Mar-2019
Location: Narkanda, Himachal Pradesh, India
Published On: 03-Mar-2019
Location: Shimla, Himachal Pradesh, India
Published On: 28-Feb-2019
Location: Kalka, Himachal Pradesh, India
Published On: 23-Feb-2019
Location: Shimla, Himachal Pradesh, India
Published On: 15-Feb-2019
Location: Ratangarh, Madhya Pradesh, India
Published On: 31-Jan-2019
Location: Tehri Dam, Uttarakhand, India
Published On: 27-Jan-2019
Location: Shri Mata Vaishno Devi Katra, Katra, Jammu and Kashmir
Published On: 24-Jan-2019
Location: ISKON NOIDA, Block A, Sector 32, Noida, Uttar Pradesh, India
Published On: 19-Jan-2019
Location: Kanatal, Kaudia Range, Uttarakhand, India
Published On: 15-Jan-2019
Location: Chitrakoot, Madhya Pradesh, India
Published On: 07-Jan-2019
Location: Bhojpur Temple, Bhojpur Road, Bhojpur, Madhya Pradesh, India
Published On: 28-Dec-2018
Location: Bhimbetka rock shelters
Published On: 22-Dec-2018
Location: Padavali, Madhya Pradesh, India
Published On: 13-Dec-2018
Location: Bateshwar Temple, near mitawali padawali banmore, Morena, Madhya Pradesh
Published On: 06-Dec-2018
Location: Shanichra Road, Maharajpura, Gwalior, Madhya Pradesh, India
Published On: 28-Nov-2018
Location: Almora, Uttarakhand, India
Published On: 25-Nov-2018
Location: Vriddha Jageshwar Rd, Digari Gunth, Uttarakhand 263623, India
Published On: 21-Nov-2018
Location: Jageshwar Dham, Uttarakhand, India
Published On: 17-Nov-2018
Location: Almora, Uttarakhand, India
Published On: 16-Nov-2018
Location: Sankua Bridge, Seondha, Madhya Pradesh, India
Published On: 08-Sep-2018
Location: Kurukshetra, Haryana, India
Published On: 03-Sep-2018
Location: Shri Mata Vaishno Devi Katra, Katra, Jammu and Kashmir
Published On: 30-Jul-2018
Location: Shri Mata Vaishno Devi Katra, Katra, Jammu and Kashmir
Published On: 30-Jul-2018
Location: Madhya Pradesh, India
Published On: 27-Jun-2018
Location: Rishikesh, Uttarakhand, India
Published On: 19-Jun-2018
Location: New Delhi, Delhi, India
Published On: 17-Jun-2018
Location: Kakanmath Shiv Temple, Bawadipura, Madhya Pradesh, India
Published On: 16-Jun-2018
Location: Sultangarh Waterfall Road, Patheka, Madhya Pradesh, India
Published On: 16-Jun-2018
Location: Mathura, Uttar Pradesh, India
Published On: 10-Jun-2018
Location: Ujjain, Madhya Pradesh, India
Published On: 09-Jun-2018
Location: Mathura, Uttar Pradesh, India
Published On: 07-Jun-2018
Location: Govardhan, Uttar Pradesh, India
Published On: 05-Jun-2018
Location: Pachmarhi, Madhya Pradesh, India
Published On: 26-May-2018
Location: Pachmarhi, Madhya Pradesh, India
Published On: 20-May-2018
Location: Behat, Gwalior, Madhya Pradesh, India
Published On: 06-May-2018
Location: Rishikesh, Uttarakhand, India
Published On: 03-May-2018
Location: Diu, Daman and Diu, India
Published On: 15-Apr-2018
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Published On: 11-Apr-2018
Location: Padhavali, Madhya Pradesh, India
Published On: 07-Apr-2018
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Published On: 01-Apr-2018
Location: Akshardham Temple, Pandav Nagar, Delhi
Published On: 31-Mar-2018
Location: Gwalior, Gwalior Fort, Gwalior, Madhya Pradesh, India
Published On: 07-Mar-2018
Location: Chopta, Uttarakhand, India
Published On: 17-Feb-2018
Location: Chopta, Uttarakhand, India
Published On: 11-Feb-2018
Location: Chopta, Uttarakhand, India
Published On: 03-Feb-2018
Location: Garhmukteshwar, Uttar Pradesh, India
Published On: 21-Jan-2018
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