मुझे आध्यात्मिक यात्राएं करने में बहुत आनंद आता है और इन यात्राओं का सिलसिला यूँ तो जब से होश संभाला है तभी से शुरू हो गया था मगर 2012 में मैंने पहली बार जब गोवर्धन धाम की परिक्रमा करके आया उसके बाद से मेरी आध्यात्मिक यात्राएं कुछ ज्यादा होने लगीं और मुझे इन सब में आनंद भी आने लगा था। फिर 2015 में नॉएडा आया और यहाँ के इस्कॉन मंदिर से जुड़ना हुआ और फिर शुरू हुआ हर सप्ताहन्त पर मंदिर में शाम को होने वाली आरती में जाने का सिलसिला जो की बादस्तूर जारी है। इसी बीच मुझे पता लगा की इस्कॉन नॉएडा मंदिर समिति साल में कई बार धार्मिक यात्राएं आयोजित करती है जिसके लिए वो कुछ मामूली शुल्क लेते हैं और नॉएडा इस्कॉन मंदिर से बस द्वारा किसी एक धार्मिक स्थल के 4 5 अलग अलग जगह पर लेकर जाते हैं और वहाँ के बारे में सारी जानकारी देते हैं, कीर्तन, भजन आदि करते हुए आना जाना होता है। पिछले कुछ साल में मैंने मंदिर के भक्तों के साथ ऐसी काफी यात्राएं कीं और बहुत आनंदित महसूस किया है।
ऐसी ही एक यात्रा पर फिर से जाने का मौका मिला और इस बार जाना था रावल गाँव की यात्रा पर, रावल गाँव ये वो जगह है जहाँ राधिका जी का जन्म हुआ था।रावल गाँव के अलावा इस यात्रा में हमें गोकुल के कुछ स्थानों जैसे रमन रेती ब्रह्माण्ड घाट, चिंता हरण शिव मंदिर आदि स्थानों पर भी जाने का अवसर प्राप्त होगा। यात्रा की शुरुआत हमेशा की तरह सुबह की मंगल आरती के बाद इस्कॉन नॉएडा मंदिर से होनी थी, मैं सुबह जल्दी नाहा धोकर, तैयार होकर 5:30 बजे के आसपास मंदिर पहुँच गया था और फिर मंगल आरती के बाद सभी भक्तगण एकत्रित होने लगे और फिर सभी को बस में नीयत सीट पर बैठाया गया और फिर करीब 06:00 बजे के आसपास सभी बसों ने प्रस्थान किया। बसों ने जैसे ही चलना शुरू किया तो भक्तों ने भजन कीर्तन शुरू क्र दिए, इन यात्राओं में मेरे आने का एक सबसे बड़ा कारण ये भक्तिमय माहौल भी है जिसमें मुझे एक अलग ही सुकून मिलता है। भजन कीर्तन का सिलसिला चलता रहा और फिर सभी भक्तों को मालाएँ दीं गयीं और सभी ने माला का जाप शुरू किया और फिर हमें आज के दिन में कहाँ कहाँ जाना था और उन सभी जगहों के महत्त्व के बारे में बताया गया।
प्रथम दर्शन
इन सभी गतिविधिओं के बीच हम लोग अपने आज के पहले स्थान यानी की रावल गाँव पहुँच गए थे, इस बार दूरी ज्यादा न होने की वजह से हमें रास्ते में कहीं रोककर नाश्ता नहीं कराया गया था तो अभी सबसे पहले हमें नाश्ता मिलेगा और उसके बाद हम यहाँ दर्शन और भजन कीर्तन आदि करेंगे। अभी फ़िलहाल हम सभी भक्तगण एक दम शांत से स्थान पर बहुत ही सुकून भरे पल बिता रहे थे। बसों को एक तरफ लगा दिया और सभी भक्तगण बाहर निकल आये और सब लोग आसपास टहलने लगे, मंदिर समिति से जुड़े लोगों ने वहाँ मौजूद लोगों से बात करके एक बड़े से बरामदे में नाश्ते वितरण के लिए स्थान माँगा जो की सहर्ष स्वीकार कर लिया गया। गाँव वालों ने तुरंत वहाँ झाड़ू लगवाई और हम लोग बसों में से खाने का सामन नीचे उतार कर एक जगह रख लिया गया उसके बाद कुछ लोगों ने नाश्ता - प्रसादम वितरण का कार्य शुरू किया और कुछ लोगों दौरा नाश्ता - प्रसादम ग्रहण करने का। आपकी जानकारी के लिए बताना चाहूँगा की ये नाश्ता नॉएडा मंदिर में प्रसादम रूप में बनता है फिर सभी भक्तगणों के लिए पैक होकर बसों से हमारे साथ आता है। प्रसाद ग्रहण करने के बाद सब लोगों ने स्थान की साफ सफाई की और फिर हाथ पैर धोये और चल दिए मंदिर दर्शन के लिए।
रावल गाँव के बारे में जानकारी: स्त्रोत
कुछ विद्वान मानते हैं कि राधाजी का जन्म यमुना के निकट बसे स्थित रावल ग्राम में हुआ था और बाद में उनके पिता बरसाना में बस गए। इस मान्यता के अनुसार नन्दबाबा एवं वृषभानु का आपस में घनिष्ठ प्रेम था। कंस के द्वारा भेजे गये असुरों के उपद्रवों के कारण जब नन्दराज अपने परिवार, समस्त गोपों एवं गौधन के साथ गोकुल-महावन छोड़ कर नन्दगाँव में निवास करने लगे, तो वृषभानु भी अपने परिवार सहित उनके पीछे-पीछे रावल गाँव को त्याग कर चले आये और नन्दगाँव के पास बरसाना में आकर निवास करने लगे। मान्यता है कि यहाँ स्थापित मंदिर के ठीक सामने एक बगीचा है, जहां आज भी राधा-कृष्ण पेड़ के रूप में मौजूद हैं।
मंदिर दर्शन
पेड़ स्वरूप में हैं राधा और श्याम:
रावल गांव में स्थापित राधारानी के मंदिर के ठीक सामने प्राचीन बगीचा है। कहा जाता है कि यहाँ पर पेड़ स्वरूप में आज भी राधा और कृष्ण मौजूद हैं। यहाँ पर एक साथ दो पेड़ हैं। एक श्वेत है तो दूसरा श्याम रंग का। इसकी रोज पूजा होती है। मंदिर के पुजारी ललित मोहन कहते हैं कि राधा और कृष्ण पेड़ स्वरूप में आज भी यहाँ से यमुना जी को निहारते हैं।
कमल के फूल में मिलीं राधारानी:
मान्यता है कि रावल गांव में ही राधाजी का जन्म हुआ था। मंदिर के पुजारी ललित मोहन कल्ला बताते हैं कि यहाँ करीब पांच हजार साल पहले यमुना बहती थी। शास्त्रों के अनुसार कृतिजी यमुना में स्नान करते समय पुत्र की कामना करती थीं। एक दिन पूजा करते समय यमुना से कमल का फूल प्रकट हुआ। उस फूल से रोशनी निकल रही थी और वह सोने की तरह चमक रहा था। जब कृतिजी पास जाकर देखा तो कमल का फूल पूरी तरह से खिल गया। इसमें एक नन्ही सी बच्ची थी, जिसके नेत्र बंद थे। कहा जाता है कि वह बच्ची कोई और नहीं बल्कि राधा-रानी थीं। अब उस जगह पर इस मंदिर का गर्भगृह है।
राधाजी बाल रूप में
मंदिर की देखभाल का जिम्मा गाँव के लोगों के पास है, हम लोग मंदिर परिसर में दाखिल हुए और अब हमारी इस्कॉन मण्डली ने भजन कीर्तन करने के हिसाब से ढोलक आदि भी साथ ले लिए थे। मंदिर परिसर में सभी भक्तगण एकत्रित हुए और पुजारी समूह के एक व्यक्ति ने हमें इस स्थान के बारे में जानकारी देना शुरू कर दिया और हम सब लोग उनकी बातों को ध्यान से सुनने लगे (इस्कॉन मंदिर में सबको बताया जाता है की आप किसी भी स्थान के सही मायने में दर्शन तब करते हैं जब आप स्थान को देखने के साथ उसके बारे में श्रवण भी करते हैं)।
मंदिर की छत से दिखती यमुना जी
मंदिर परिसर से होते हुए हम लोग फिर मंदिर की छत पर पहुँच गए जहाँ से पीछे की तरफ यमुना जी बहती हुई दिखाई देती हैं। यमुना जी दर्शन के बाद हम लोग वापिस नीचे मंदिर परिसर में आये और फिर बारी बारी से श्री राधिका जी के बाल स्वरुप के दर्शन किये, ऐसी मान्यता है की इस मंदिर के अलावा और कहीं भी आपको राधिका जी बाल स्वरूप में देखने को नहीं मिलती हैं। दर्शन पश्चात शुरू हुआ भजन, कीर्तन और नृत्य का दौर, जिसमें सभी भक्तों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। इस्कॉन की इन यात्राओं पर आने का एक कारण ये भी है, ये भजन, कीर्तन नृत्य आत्मिक सुख प्रदान करते हैं जो की शायद आपको आपके द्वारा अकेले की गयी यात्राओं में न मिले।
मंदिर के सामने स्थित एक बगीचा जहाँ पर एक मंदिर भी है
भजन कीर्तन के बाद हम लोग बसों में फिर से सवार होकर चल दिए गोकुल की तरफ, गोकुल में हमें सबसे पहले जाना है रमन रेती के दर्शन को। रमन रेती पहुँच कर सभी बसों को नीयत स्थान पर खड़ा कर दिया गया और फिर सभी भक्तगण पैदल चल दिए रमन रेती की तरफ। व्रज की पूरी भूमि श्री कृष्ण की लीला और चरणों से पावन पवित्र है। इसी भूमि एक स्थान ऐसा है माना जाता है कि संत रसखान ने यहां तपस्या की थी। यहां इनकी समाधि भी बनी हुई है। रमण बिहारी जी(raman reti) के प्राचीन मंदिर के जर्जर होने के कारण नए मंदिर में रमण बिहारी जी को विराजमान किया गया है। मंदिर राधा कृष्ण की अष्टधातु की मूर्ति है। भक्तगण इनके दर्शन से पुण्य लाभ प्राप्त करते हैं।
रमन रेती
रमन रेती में क्या खास है:-
गोकुल के रमण रेती मंदिर परिसर में हर तरफ रेत ही रेत है। यहां जो भी कृष्ण भक्त आता है, बिना रेत में लोटे नहीं जाता। फागुन मास में यहां भक्तों की भीड़ बढ़ जाती है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने बाल रूप में इस रेत पर लीलाएं की थीं। लोग मानते हैं कि इस रेत से बीमारियां दूर हो जाती हैं। लोग यहां आकर लोटते हैं, ताकि इस पवित्र मिट्टी से वे भी पवित्र हो सकें। मान्यता है कि बालकृष्ण यहां चले हैं इसलिए यह पवित्र है।
ब्रह्माण्ड घाट
रमन रेती के बाद हम लोग पहुँच गए ब्रह्माण्ड घाट के दर्शन करने, यहाँ मैं पहले भी एक यात्रा में आ चूका था। यहाँ पर भक्तगणों के स्नान का कार्यक्रम था, चूँकि में कपड़े ले जाना भूल गया था तो मैंने हाथ मुँह धोकर ही काम चलाया। यहाँ स्नान और मंदिरों के दर्शन के बाद हम चल दिए आज के अगले और अंतिम स्थान चिंता हरण शिव मंदिर की तरफ।आज के भोजन - प्रसादम की व्यवस्था वहीं पर थी (जानकारी के लिए बताना चाहूँगा की मथुरा की प्रत्येक यात्रा में दिन में 2 3 बजे के आसपास किसी एक स्थान पर भक्तगणों को भोजन - प्रसादम उपलब्ध कराया जाता है जो की मथुरा - वृंदावन के इस्कॉन मंदिर से बनकर आता है, ये भोजन अमृतुल्य स्वादिष्ट होता है और हरि की कृपा से ये कभी भी कम नहीं पड़ता है)।
चिंता हरण शिव मंदिर
चिंता हरण शिव मंदिर के पीछे बहती यमुना जी
मंदिर पहुँच क सभी भक्तगण बसों से उतर कर मंदिर प्रागण की तरफ चल दिए, मंदिर परिसर में मंदिर के अलावा कुछ साधुओं के आश्रम, और पीछे यमुना जी का घाट आदि थे। हमारे पहुँचने के साथ ही भोजन प्रसादम भी गाड़िओं द्वारा यहाँ आ गया था, मंदिर समिति के लोगों ने यहाँ मौजूद साधु संतों से भोजन करने हेतु स्थान के बारे में जानकारी ली और फिर कुछ भक्तों ने साफ सफाई का जिम्मा संभाला और कुछ भोजन परस करने में लग गए और कुछ भोजन प्राप्त करने के लिए बैठ गए। 2 बार की परस में सभी भक्तगणों ने प्रसाद ग्रहण किया, इसके साथ वहाँ मौजूद सभी साधु संतो को भी भोजन प्रसाद वितरित किया गया।
भोजन प्रसादम ग्रहण करने के बाद सभी भक्तगणों ने बारी बारी से मंदिर के दर्शन किये और फिर प्रारम्भ हुआ भजन, कीर्तन आदि का सिलसिला जो की अगले एक घण्टे तक चला। वैसे तो ये सब आद घण्टे चलता रहता मगर अब समय हो चला था यहाँ से वापिस नॉएडा की तरफ चलने का ताकि रात के 11 बजे तक हम लोग नॉएडा पहुँच जाएँ और फिर वहाँ से सभी लोग अपने अपने घरों की तरफ प्रस्थान करें तो इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए अब हम सभी भकगणों को यहाँ से वापसी के लिए प्रस्थान करना था।
फिर मिलेंगे कहीं किसी रोज़ घूमते फिरते।
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Location: Morey Plains to Leh
Published On: 24-Nov-2019
Location: Jispa, Himachal Pradesh to Morey Plains
Published On: 09-Nov-2019
Location: Rohtang Pass to Jispa
Published On: 22-Sep-2019
Location: Manali, Himachal Pradesh, India
Published On: 01-Sep-2019
Location: Ladakh
Published On: 25-Aug-2019
Location: Sri Aadi Badrinath Dham Road, Alipur, Rajasthan, India
Published On: 02-Jul-2019
Location: Agra, Uttar Pradesh, India
Published On: 24-May-2019
Location: Kalyasaur, Uttarakhand, India
Published On: 08-May-2019
Location: Dhokane Waterfall, Dhukane, Uttarakhand, India
Published On: 03-May-2019
Location: Rishikesh, Uttarakhand, India
Published On: 19-Apr-2019
Location: Indian Institute of Advanced Study, Shimla
Published On: 08-Apr-2019
Location: Army Heritage Museum, Annadale Rd, Annadale, Shimla, Himachal Pradesh 171003
Published On: 29-Mar-2019
Location: Mall Road, The Mall, Shimla, Himachal Pradesh, India
Published On: 22-Mar-2019
Location: Jakhu, Shimla, Himachal Pradesh, India
Published On: 17-Mar-2019
Location: Narkanda, Himachal Pradesh, India
Published On: 03-Mar-2019
Location: Shimla, Himachal Pradesh, India
Published On: 28-Feb-2019
Location: Kalka, Himachal Pradesh, India
Published On: 23-Feb-2019
Location: Shimla, Himachal Pradesh, India
Published On: 15-Feb-2019
Location: Ratangarh, Madhya Pradesh, India
Published On: 31-Jan-2019
Location: Tehri Dam, Uttarakhand, India
Published On: 27-Jan-2019
Location: Shri Mata Vaishno Devi Katra, Katra, Jammu and Kashmir
Published On: 24-Jan-2019
Location: ISKON NOIDA, Block A, Sector 32, Noida, Uttar Pradesh, India
Published On: 19-Jan-2019
Location: Kanatal, Kaudia Range, Uttarakhand, India
Published On: 15-Jan-2019
Location: Chitrakoot, Madhya Pradesh, India
Published On: 07-Jan-2019
Location: Bhojpur Temple, Bhojpur Road, Bhojpur, Madhya Pradesh, India
Published On: 28-Dec-2018
Location: Bhimbetka rock shelters
Published On: 22-Dec-2018
Location: Padavali, Madhya Pradesh, India
Published On: 13-Dec-2018
Location: Bateshwar Temple, near mitawali padawali banmore, Morena, Madhya Pradesh
Published On: 06-Dec-2018
Location: Shanichra Road, Maharajpura, Gwalior, Madhya Pradesh, India
Published On: 28-Nov-2018
Location: Almora, Uttarakhand, India
Published On: 25-Nov-2018
Location: Vriddha Jageshwar Rd, Digari Gunth, Uttarakhand 263623, India
Published On: 21-Nov-2018
Location: Jageshwar Dham, Uttarakhand, India
Published On: 17-Nov-2018
Location: Almora, Uttarakhand, India
Published On: 16-Nov-2018
Location: Sankua Bridge, Seondha, Madhya Pradesh, India
Published On: 08-Sep-2018
Location: Kurukshetra, Haryana, India
Published On: 03-Sep-2018
Location: Shri Mata Vaishno Devi Katra, Katra, Jammu and Kashmir
Published On: 30-Jul-2018
Location: Shri Mata Vaishno Devi Katra, Katra, Jammu and Kashmir
Published On: 30-Jul-2018
Location: Madhya Pradesh, India
Published On: 27-Jun-2018
Location: Rishikesh, Uttarakhand, India
Published On: 19-Jun-2018
Location: New Delhi, Delhi, India
Published On: 17-Jun-2018
Location: Kakanmath Shiv Temple, Bawadipura, Madhya Pradesh, India
Published On: 16-Jun-2018
Location: Sultangarh Waterfall Road, Patheka, Madhya Pradesh, India
Published On: 16-Jun-2018
Location: Mathura, Uttar Pradesh, India
Published On: 10-Jun-2018
Location: Ujjain, Madhya Pradesh, India
Published On: 09-Jun-2018
Location: Mathura, Uttar Pradesh, India
Published On: 07-Jun-2018
Location: Govardhan, Uttar Pradesh, India
Published On: 05-Jun-2018
Location: Pachmarhi, Madhya Pradesh, India
Published On: 26-May-2018
Location: Pachmarhi, Madhya Pradesh, India
Published On: 20-May-2018
Location: Behat, Gwalior, Madhya Pradesh, India
Published On: 06-May-2018
Location: Rishikesh, Uttarakhand, India
Published On: 03-May-2018
Location: Diu, Daman and Diu, India
Published On: 15-Apr-2018
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Published On: 11-Apr-2018
Location: Padhavali, Madhya Pradesh, India
Published On: 07-Apr-2018
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Published On: 01-Apr-2018
Location: Akshardham Temple, Pandav Nagar, Delhi
Published On: 31-Mar-2018
Location: Gwalior, Gwalior Fort, Gwalior, Madhya Pradesh, India
Published On: 07-Mar-2018
Location: Chopta, Uttarakhand, India
Published On: 17-Feb-2018
Location: Chopta, Uttarakhand, India
Published On: 11-Feb-2018
Location: Chopta, Uttarakhand, India
Published On: 03-Feb-2018
Location: Garhmukteshwar, Uttar Pradesh, India
Published On: 21-Jan-2018
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