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बटेश्वर मंदिर समूह के बारे में: साभार विकिपीडिया।
बटेश्वर हिन्दू मंदिर, मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में लगभग २०० बलुआ पत्थर से बने हिंदू मंदिरों है ,ये मंदिर समूह उत्तर भारतीय मंदिर वास्तुकला की शुरुआती गुर्जर-प्रतिहार शैली के मंदिर समूह हैं। यह ग्वालियर के उत्तर में लगभग ३५ किलोमीटर (२२ मील) और मुरैना शहर से लगभग ३० किलोमीटर (१९ मील) है। मंदिरों में ज्यादातर छोटे हैं और लगभग 25 एकड़ (10 हेक्टेयर) में फैले हुए हैं। वे शिव, विष्णु और शक्ति को समर्पित हैं - हिंदू धर्म के भीतर तीन प्रमुख परंपराओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह स्थल चंबल नदी घाटी के किले के भीतर है, इसकी प्रमुख मध्ययुगीन युग विष्णु मंदिर के लिए जाना जाता पढ़ावली के निकट एक पहाड़ी के उत्तर-पश्चिमी ढलान पर है। बटेश्वर मंदिर ८ वीं और १० वीं शताब्दी के बीच बनाए गए थे। जिन मंदिरों के रूप में वे अब दिख रहे हैं, वे कई मामलों में २००५ में भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा शुरू की गई एक परियोजना में, खंडहर के पत्थरों से पुनर्निर्मित हुए हैं।
कैसे जाएं:
बटेश्वर जहाँ पर है उस जगह को "चम्बल ट्रायंगल" के नाम से भी जाना जाता है, उस स्थान पर इस तरह के काफी सारे घुमक्कड़ी के ठिकाने हैं जैसे की शनि देव मंदिर, मितावली, पढ़ावली, ककनमठ और बटेश्वर। ग्वालियर से यहाँ तक जाने के कई रास्ते हैं, जिसमें प्रमुख हैं वाया मुरैना रोड़ से या वाया भिंड रोड़ से होकर, भिंड रोड़ वाले रास्ते से भी 2 रास्ते हैं जो आपको इस स्थान तक पहुँचा देंगे - पहला ग्वालियर एयरपोर्ट के बगल से होकर जाता है और दूसरा मालनपुर होकर।
ग्वालियर से बटेश्वर जाने का गूगल मैप लिंक।
यहाँ जाने के सबसे उपयुक्त साधन अपना निजी वाहन है क्यूँकि ग्वालियर से मालनपुर या ग्वालियर से मुरैना तक तो तमाम साधन हैं मगर उसके बाद इस रास्ते पर साधन न के बराबर हैं।
कब जाएं:
चूँकि पूरे चम्बल संभाग में गर्मी काफी ज्यादा पड़ती है तो गर्मिओं के मौसम के अलावा आप यहाँ कभी जाने प्लान बना सकते हैं।
खाने पीने के साधन:
बटेश्वर के आसपास जो गाँव हैं वहाँ की दुकानों पर आपको चाय, नमकीन, बिस्कुट के अलावा और कुछ मिलना मुश्किल है तो खाने पीने का सामान अपने साथ लेकर जाएं।
इस यात्रा का पहला भाग पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।
इतिहास के एक दौर की यात्रा पर जाते हुए हम।
पौड़े सरकार से आज्ञा लेकर चल दिए अपने अगले पड़ाव बटेश्वर, जहाँ जाने की वजह से इस यात्रा पर निकले थे। शनि देव मंदिर के सामने से एक रोड़ बटेश्वर की तरफ जा रहा था, हमने वही रोड़ पर अपनी बाइक आगे बढ़ा दी, बटेश्वर जाने की ख्वाहिश काफी सालों से थी तो एक अलग ही तरह के रोमाँच था वहाँ जल्द से जल्द पहुँचने का, और दूरी ज्यादा न होने की वजह से हम अगले 15 मिनट में बटेश्वर पहुँच गए।
बटेश्वर में जिस स्थान पर मंदिर निकलें हैं उस पूरे इलाके को भारतीय पुरातत्व विभाग (आर्कलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया - एएसआई) ने एक बॉउंड्री वाल से कवर करा हुआ है और मुख्य सड़क पर एक बड़ा सा बोर्ड और गेट लगा हुआ है। हम उस गेट से आगे बढ़ दिए, यहाँ मुझे मेरे विचारों से एक दम उलट कुछ देखने को मिला। मुझे लग रहा था की यहाँ हमारे अलावा शायद ही कोई और होगा, मगर मेरा सोचना गलत था, यहाँ काफी सारे सैलानी आए हुए थे। इस गेट के अंदर घुसते से ही आपको सबसे पहले बाएं हाथ पर एक मंदिर देखने को मिलेगा जो की अपने आप में एक अध्भुत कलाकृति का नमूना है।
खुद को किसी और ही दुनिया में पाया।
विष्णु मंदिर - बटेश्वर मंदिर काम्प्लेक्स में स्थित सबसे पहला मंदिर।
मैंने तुरंत बाइक वहाँ लगा दी और इस मंदिर के दर्शन को चल दिए, ये मंदिर जमीन से करीब 30 40 फ़ीट की ऊँचाई पर स्थित है, मंदिर तक जाने के लिए हमने सीढ़ियों चढ़ना शुरू किया और पहुँच गए मंदिर के समक्ष। ये मंदिर विष्णु भगवान का मंदिर था जो की खण्डित अवस्था में किसी दौर में भारतीय पुरातत्व विभाग को मिला होगा, फिर शुरू हुआ इसके जीर्णोद्धार का कार्य और आज ये काफी अच्छी स्थित में सैलानिओं के लिए मौजूद है वो अलग बात है की इसका पिछले हिस्सा अभी भी खंडित है और जिसकी मरम्मत का कार्य जारी है। ये मंदिर की बनावट काफी हद तक ग्वालियर के किले पर स्थित सहस्त्र-बाहु जिसे लोग सास-बहु मंदिर के नाम से जानते हैं उस मंदिर की तरह थी, मंदिर के हर एक हिस्से में गज़ब की नक्काशी थी जिसे देखकर कोई भी मंत्र मुग्ध हो जाए।
इस मंदिर की सुंदरता देखकर मेरे मन में सबसे पहला ख्याल ये आया की ये एक मंदिर इतना खूबसूरत है तो जब अन्य मंदिरों को देखेंगे जिनकी संख्या 100 से भी ज्यादा है तो ऐसा लगेगा की हम किसी और ही दुनिया में पहुँच गए हैं। अभी मन में ये ख्याल चल ही रहा था की तभी एक ख्याल ये भी आया की आखिर ऐसा क्या हुआ होगा इस जगह पर जो इतने सारे मंदिर हज़ारों सालों तक गुमनामी के दौर में लोगों की जानकारी से दूर रहे!
अपने अस्तित्व को बचाने के लिए डटकर खड़ा एक पूरा संसार।
ये सारे मंदिर ८ वीं और १० वीं शताब्दी के बीच बनाए गए थे मगर १० वीं शताब्दी और आज के बीच के कालखंड में ऐसा क्या हुआ जिससे ये सारे मंदिर पत्थरों के खण्डर में तब्दील हो गए, एक बेशक़ीमती रियासत जमींदोज हो गयी और फिर हज़ारों सालों तक अपने वजूद के लिए वहीँ खड़ी रही ये सोचकर की कभी फिर से सब कुछ पहले जैसा होगा। मेरे मन में हज़ारों सवाल थे और मैं उनके जवाब ढूँढना चाहता था की आखिर क्या हुआ होगा इन मंदिरों के साथ ?
मेरे इन प्रश्नों के उत्तर के जवाब में मुझे सिर्फ ये पता लगा की १३ वीं शताब्दी के बाद ये मंदिर नष्ट हो गए; यह स्पष्ट नहीं है कि यह भूकंप या मुस्लिम बलों द्वारा किया गया था।
2005 तक इस जगह पर डाकुओं का काफी आतंक था जिस वजह से इन मंदिरों के अवशेषों को भूमाफिया या लोकल के लोगों ने इधर उधर नहीं कर पाया, या ये भी कहा जा सकता है कि 2005 तक यहाँ डाकुओं के अलावा कोई आने की हिम्मत नहीं करता था जिस वजह से ये मंदिरों जस के तस अवस्था में वही रहे। 2005 में पुरातत्व विभाग ने इन सभी मंदिरों के जीर्णोद्धार की योजना बनायी और इस काम का जिम्मा दिया गया एक अधिकारी जिनका नाम केके मोहम्मद था उन्हें। एक कहानी ये भी है कि केके मोहम्मद को स्वप्न में स्वयं महादेव ने इन मंदिरों के जीर्णोद्धार का आदेश दिया था।
चूंकि ये स्थान उस समय डाकू प्रभावित था तो मंदिरों का जीर्णोद्धार की तो बात छोड़िए, एक पत्थर भी यहाँ से वहाँ बिना डाकुओं की अनुमति के उठाना संभव नही था मगर केके खान ने भी मन मे ठान लिया था। उन्होंने वहाँ के लोकल लोगों और डाकुओं से बातचीत की और उन्हें इन मंदिरों की महत्ता बताई और साथ में ये भी बताया कि ये हमारे पूर्वजों की रियासत है और हमारा फर्ज है इसे हम संजोए ताकि आने वाली पीढ़ी ये सब देख पाए। डाकुओं को ये बात समझ आ गयी और उन्होंने इस नेक कार्य को शुरू करने की न सिर्फ अनुमति दी, बल्कि उन्होंने इस क्षेत्र से पलायन भी कर लिया ताकि जीर्णोद्धार कार्य मे किसी तरह की बाधा न आए।
फिर क्या था पुरातत्व विभाग ने काम शुरू कर दिया और देखते देखते ही देखते काफी सारे मंदिर अपने पुराने रूप में वापिस आने लगे और धीरे धीरे इस जगह के बारे में लोगों को पता लगने लगा और लोगों ने भी यहाँ आना शुरू कर दिया। आज की तारीख में यहाँ पर मध्यप्रदेश टूरिज्म की तरफ से काफी सारी सुविधाएं जैसे कि टॉयलेट आदि उपलब्ध करा दिए गए हैं और निरंतर कार्य जारी है। विष्णु मंदिर के बाद हम लोग मंदिर काम्प्लेक्स या मंदिरों के नगर की तरफ बढ़ चले, पार्किंग में बाइक लगाई और नगर के गेट से अंदर होते हुए एक पार्क की तरह दिखने वाले रास्ते से अंदर बढ़ दिए।
यहाँ जो दिखा वो किसी को कुछ पल के लिए अचंभित करने के लिए पर्याप्त था, मेरे सामने मंदिरों का एक उजड़ा सा नगर था, जिसमें अलग अलग ऊँचाई वाले, छोटे बड़े हर तरह के सैकड़ों मंदिर थे। कुछ टूटे हुए थे, कुछ को सुधारा जा चुका था, ये दृश्य अध्भुत था।
मैं काफी देर तक एक टक ये नज़ारा देखता रहा, ये किसी साउथ की मूवी के क्लाइमेक्स की तरह था, पिताजी की आवाज से मेरा ध्यान हटा और फिर मैं एक एक करके सभी मंदिरों के दर्शन करने लगा। यहाँ भी मेरी स्थित जागेश्वर धाम की तरह थी, समझ नहीं आ रहा था किस मंदिर की तस्वीर निकालूँ किस की नहीं!
मैं प्रत्येक मंदिर को देखते हुए आगे बढ़ता जा रहा था, कुछ मंदिरों में सिर्फ पिल्लर बचे हुए थे, कुछ की छत टूटी हुई थी, कुछ मंदिरों का जीर्णोद्धार पुरातत्व विभाग द्वारा किया जा चूका था तो वो एक दम सही अवस्था में थे बाकि अन्य मंदिरों के जीर्णोद्धार का काम जारी था। वहाँ पर मंदिरों के अलावा 2 बड़े से द्वार के पिल्लर भी देखने को मिले। मंदिरों के बीचोंबीच एक बड़ी सी बजरंगबली की मूर्ति भी थी जो की बेहद खूबसूरत दिख रही थी।
इतिहास का प्रतिबिम्ब।
कुछ मंदिरों पर बेहद ही खूबसूरत कलाकृतियाँ उकेरी गयी थीं जो की वक़्त की मार को सहने के बावजूद आज भी जस की तस थीं, कुछ मंदिरों पर पुरातत्व विभाग जीर्णोद्धार का काम कर रहा था वहाँ लोहे के फ्रेम लगे हुए थे। कठिन होता है अपने इतिहास को भविष्य के लिए बचाए रखना, मगर पुरातत्व विभाग इस कार्य को बखूबी निभा रहा है।
मेरा कैमरा बिना रुके सभी मंदिरों की तस्वीरें निकालने में व्यस्त था, पिताजी के साथ भी कुछ तस्वीरें निकालीं और उसके लिए मैंने कैमरा के सेल्फ टाइमर मोड का उपयोग किया, मन कर रहा था की यहाँ के हर कोने, हर मंदिर को तस्वीर में कैद करके में अपने साथ ले जा सकूँ, यहाँ की महक को अपने मन में कैद कर सकूँ, और काफी हद तक इस कार्य में मुझे सफलता भी मिली।
यहाँ पर एक मंदिर जिसकी दीवारें और गुम्बज अभी गिरे नहीं थे उसे देखकर मुझे ककनमठ स्थित शिवमंदिर की याद आ गयी, इस मंदिर की दीवारों और पिल्लरों पर बेहद खुबसुरत नक्काशी देखने को मिली, जिसे देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं की उस समय में भी हमारे देश में कितने काबिल कारीगर रहे होंगे, नहीं तो पत्थर पर इस तरह की आकृतियाँ उकेरना कोई आसान काम नहीं होता।
एल्बम में ऐसे अनेक फोटो थे।
सारे मंदिर देखते हुए आगे बढ़ते हुए हमारी मुलाकात वहाँ मौजूद के व्यक्ति से हुई जिनके जिम्मे वहाँ की देखभाल का कार्य था, उनसे वहाँ के बारे में जानने की इच्छा हुई तो हम लोग उनके पास पहुँच गए। बातचीत का दौर शुरू हुआ, डाकुओं से लेकर आज तक का पूरा इतिहास उन्होंने हमसे साझा किए और फिर जब उन्हें लगा की हम लोग उनकी बातों में काफी रूचि ले रहे हैं तो वो हमें 2 मिनट वहीँ बैठने का कह कर वही पास स्थित एक कमरे में गए और जब वापिस आये तो उनके हाथ में 2 डायरी जैसी दिखने वाली एल्बम थी जिसके हर एक पन्ने पर वहाँ मौजूद कुछ मंदिरों के 2 फोटो थे, एक फोटो था जिसमें मंदिर जिस स्थिति में मिला वो दर्शाया गया था और दुसरे में उसी मंदिर की जीर्णोद्धार के बाद की स्थित दिखाई गयी थी, इतिहास का बेहतरीन खजाना था उस अलबम में।
ककनमठ मंदिर की तरह एक मंदिर।
यहाँ मौजूद हर पत्थर कुछ कहानी कहता है।
एल्बम की सारी तस्वीरें देखने के बाद हम लोग वहीँ पर स्थित छोटे से कुण्ड के आसपास के मंदिरों के देखते हुए वापिस उसी जगह पर आ गए जहाँ से शुरुआत की थी, सारे मंदिर देख लिए थे लेकिन मन में कही लग रहा था की नहीं अभी एक और चक्कर लगाया जाये सारे मंदिरों का मगर दूसरी तरफ ये भी लग रहा था की यहाँ तक आए हैं वो भी पिताजी के साथ तो बचे हुए समय में पढ़ावली और मितावली जाना तो बनता है, यही सोचते हुए हम लोगों ने शिवजी के इस अलौकिक संसार से विदा ली और बाइक उठाकर चल दिए अपने अगले पड़ाव पढ़ावली और मितावली की तरफ।
इस यात्रा की सारी तस्वीरें यहाँ उपलब्ध हैं।
फिर मिलेंगे कहीं किसी रोज़ घूमते फिरते।
#MP_ka_blogger
#floatingshoes
Location: Rishikesh, Uttarakhand, India
Published On: 16-Mar-2021
Location: Morey Plains to Leh
Published On: 24-Nov-2019
Location: Jispa, Himachal Pradesh to Morey Plains
Published On: 09-Nov-2019
Location: Rohtang Pass to Jispa
Published On: 22-Sep-2019
Location: Manali, Himachal Pradesh, India
Published On: 01-Sep-2019
Location: Ladakh
Published On: 25-Aug-2019
Location: Sri Aadi Badrinath Dham Road, Alipur, Rajasthan, India
Published On: 02-Jul-2019
Location: Agra, Uttar Pradesh, India
Published On: 24-May-2019
Location: Kalyasaur, Uttarakhand, India
Published On: 08-May-2019
Location: Dhokane Waterfall, Dhukane, Uttarakhand, India
Published On: 03-May-2019
Location: Rishikesh, Uttarakhand, India
Published On: 19-Apr-2019
Location: Indian Institute of Advanced Study, Shimla
Published On: 08-Apr-2019
Location: Army Heritage Museum, Annadale Rd, Annadale, Shimla, Himachal Pradesh 171003
Published On: 29-Mar-2019
Location: Mall Road, The Mall, Shimla, Himachal Pradesh, India
Published On: 22-Mar-2019
Location: Jakhu, Shimla, Himachal Pradesh, India
Published On: 17-Mar-2019
Location: Narkanda, Himachal Pradesh, India
Published On: 03-Mar-2019
Location: Shimla, Himachal Pradesh, India
Published On: 28-Feb-2019
Location: Kalka, Himachal Pradesh, India
Published On: 23-Feb-2019
Location: Shimla, Himachal Pradesh, India
Published On: 15-Feb-2019
Location: Ratangarh, Madhya Pradesh, India
Published On: 31-Jan-2019
Location: Tehri Dam, Uttarakhand, India
Published On: 27-Jan-2019
Location: Shri Mata Vaishno Devi Katra, Katra, Jammu and Kashmir
Published On: 24-Jan-2019
Location: ISKON NOIDA, Block A, Sector 32, Noida, Uttar Pradesh, India
Published On: 19-Jan-2019
Location: Kanatal, Kaudia Range, Uttarakhand, India
Published On: 15-Jan-2019
Location: Chitrakoot, Madhya Pradesh, India
Published On: 07-Jan-2019
Location: Bhojpur Temple, Bhojpur Road, Bhojpur, Madhya Pradesh, India
Published On: 28-Dec-2018
Location: Bhimbetka rock shelters
Published On: 22-Dec-2018
Location: Padavali, Madhya Pradesh, India
Published On: 13-Dec-2018
Location: Bateshwar Temple, near mitawali padawali banmore, Morena, Madhya Pradesh
Published On: 06-Dec-2018
Location: Shanichra Road, Maharajpura, Gwalior, Madhya Pradesh, India
Published On: 28-Nov-2018
Location: Almora, Uttarakhand, India
Published On: 25-Nov-2018
Location: Vriddha Jageshwar Rd, Digari Gunth, Uttarakhand 263623, India
Published On: 21-Nov-2018
Location: Jageshwar Dham, Uttarakhand, India
Published On: 17-Nov-2018
Location: Almora, Uttarakhand, India
Published On: 16-Nov-2018
Location: Sankua Bridge, Seondha, Madhya Pradesh, India
Published On: 08-Sep-2018
Location: Kurukshetra, Haryana, India
Published On: 03-Sep-2018
Location: Shri Mata Vaishno Devi Katra, Katra, Jammu and Kashmir
Published On: 30-Jul-2018
Location: Shri Mata Vaishno Devi Katra, Katra, Jammu and Kashmir
Published On: 30-Jul-2018
Location: Madhya Pradesh, India
Published On: 27-Jun-2018
Location: Rishikesh, Uttarakhand, India
Published On: 19-Jun-2018
Location: New Delhi, Delhi, India
Published On: 17-Jun-2018
Location: Kakanmath Shiv Temple, Bawadipura, Madhya Pradesh, India
Published On: 16-Jun-2018
Location: Sultangarh Waterfall Road, Patheka, Madhya Pradesh, India
Published On: 16-Jun-2018
Location: Mathura, Uttar Pradesh, India
Published On: 10-Jun-2018
Location: Ujjain, Madhya Pradesh, India
Published On: 09-Jun-2018
Location: Mathura, Uttar Pradesh, India
Published On: 07-Jun-2018
Location: Govardhan, Uttar Pradesh, India
Published On: 05-Jun-2018
Location: Pachmarhi, Madhya Pradesh, India
Published On: 26-May-2018
Location: Pachmarhi, Madhya Pradesh, India
Published On: 20-May-2018
Location: Behat, Gwalior, Madhya Pradesh, India
Published On: 06-May-2018
Location: Rishikesh, Uttarakhand, India
Published On: 03-May-2018
Location: Diu, Daman and Diu, India
Published On: 15-Apr-2018
Location: Diu, Daman and Diu, India
Published On: 11-Apr-2018
Location: Padhavali, Madhya Pradesh, India
Published On: 07-Apr-2018
Location: Padhavali, Madhya Pradesh, India
Published On: 01-Apr-2018
Location: Akshardham Temple, Pandav Nagar, Delhi
Published On: 31-Mar-2018
Location: Gwalior, Gwalior Fort, Gwalior, Madhya Pradesh, India
Published On: 07-Mar-2018
Location: Chopta, Uttarakhand, India
Published On: 17-Feb-2018
Location: Chopta, Uttarakhand, India
Published On: 11-Feb-2018
Location: Chopta, Uttarakhand, India
Published On: 03-Feb-2018
Location: Garhmukteshwar, Uttar Pradesh, India
Published On: 21-Jan-2018
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