किन्ही कारणों से अभी ये ब्लॉग इंग्लिश भाषा में उपलब्ध नहीं है। बहुत जल्द इंग्लिश भाषा में भी उपलब्ध कराने का प्रयास करूँगा।
For some reason this blog is not available in English. I will try to make it available in English soon.
पिछली जागेश्वर धाम की यात्रा में एक जगह का नाम रह रह कर मेरे ज़हन में आ रहा था और वो थी "बटेश्वर" या जिसे "बटेसर" के नाम से भी जाना जाता है,जैसे जागेश्वर में 125 मंदिरों का समूह एक ही जगह पर है ठीक वैसे ही बटेश्वर में इससे भी ज्यादा मंदिर एक ही जगह पर मौजूद हैं। मुझे ये लग रहा था की में अपने शहर से करीब 1000 किलोमीटर दूर शिवजी का ये नगर देखने आया हूँ मगर ग्वालियर से इतना पास होने के बावजूद भी मैं कभी बटेश्वर नहीं जा पाया। जागेश्वर से लौटते समय मैंने मन में सोच लिया था की अब जब भी घर जाना होगा तो बटेश्वर जरुर होकर आऊँगा।
कुछ दिन बाद दीपावली आई और 5 दिन के लिए ग्वालियर स्थित अपने घर जाने का अवसर मिला, ग्वालियर ये वो शहर है जहाँ मैंने अपने जीवन के 25 साल बिताए हैं, ये वही शहर है जिसकी तमाम जगहों पर घूमते हुए मैंने खुद को जाना था, घुमक्कड़ी भी इसी शहर ने सिखाई थी। यहाँ के चप्पे चप्पे को मैंने साइकिल, बाइक, पैदल नापा है, जब भी लगा की अब इस शहर में ऐसा कुछ नहीं बचा जो मैंने नहीं देखा हो, तब कुछ न कुछ ऐसा मेरे सामने आया है जिसने मेरा ये भ्रम तोड़ दिया, इस बार ये भ्रम तोड़ा है बटेश्वर नाम की जगह ने।
ऐसा नहीं है की इस जगह का नाम मैंने अभी हाल फ़िलहाल सुना है, 2005 से अक्सर इस जगह का नाम अख़बारों ये घुमक्कड़ों के मुख से सुनने में आता रहा है, मगर वही है की शिवजी के धाम जब तक आपका बुलावा न आए आप जा नहीं सकते तो इस वजह से अभी तक मेरा यहाँ जाना नहीं हो पाया था।
बटेश्वर जहाँ पर है उस जगह को "चम्बल ट्रायंगल" के नाम से भी जाना जाता है, उस स्थान पर इस तरह के काफी सारे घुमक्कड़ी के ठिकाने हैं जैसे की शनि देव मंदिर, मितावली, पढ़ावली, ककनमठ और बटेश्वर। ग्वालियर से यहाँ तक जाने के कई रास्ते हैं, जिसमें प्रमुख हैं वाया मुरैना रोड़ से या वाया भिंड रोड़ से होकर, भिंड रोड़ वाले रास्ते से भी 2 रास्ते हैं जो आपको इस स्थान तक पहुँचा देंगे - पहला ग्वालियर एयरपोर्ट के बगल से होकर जाता है और दूसरा मालनपुर होकर।
खैर जिस बुलावे का मुझे इंतज़ार था वो अब आ गया था, दीपावली के अगले दिन मैंने अपने कुछ मित्रों से बटेश्वर चलने के लिए बात की मगर वे सभी लोग कहीं न कहीं व्यस्त थे तो मैंने अकेले ही जाने का मन बनाया। अगले दिन दोपहर में खाना खाके मैंने घर पर बताया की मेरा बटेश्वर जाने का मन है और में थोड़ी देर में वहाँ के लिए निकल रहा हूँ, ये सुनकर मेरे पिताजी ने मेरे साथ चलने की इच्छा जाहिर की, मैंने भी सोचा इससे बेहतर क्या होगा। अगले 5 मिनट में हम लोग तैयार होकर अपनी बाइक से महाराजपुर वाली सड़क पर थे, एक जगह रुक कर पेट्रोल पंप से बाइक में पेट्रोल डलवाया और एयरपोर्ट की तरफ चल दिए।
रास्ते में पड़ने वाली एक ऐतिहासिक ईमारत।
पिताजी कई बार एयरपोर्ट वाले रास्ते से शनि देव मंदिर जा चुके हैं तो हमने वही रास्ता लिया, अच्छा हाँ यहाँ पर में आपको ये बताना चाहूँगा की हमारे पास काफी समय है और दूरी नाम मात्र की तो हमारी कोशिश रहेगी की हम चम्बल ट्राइंगल के ज्यादा से ज्यादा पॉइंट कवर कर पाएं और इसकी शुरुआत होगी विश्व प्रसिद्ध "शनि देव मंदिर" से जो की एक छोटे से पर्वत जिसे "शनि पर्वत" या "शनिचरा" के नाम से भी जाना जाता है। ग्वालियर से भिंड जाने वाली ट्रैन का स्टॉप यहाँ पर स्थित रेलवे स्टेशन पर भी होता है, जो की मंदिर से कुछ 2 3 किलोमीटर पर है।
शनिश्चरा मंदिर का इतिहास:
मध्य प्रदेश में ग्वालियर के नजदीकी एंती गांव में शनिदेव मंदिर का देश में विशेष महत्व है। इसके बारे में कहा जाता है कि यहां हनुमानजी के द्वारा लंका से फेंका हुआ अलौकिक शनिदेव का पिण्ड है। यहां शनिशचरी अमावस्या के दिन मेला लगता है। भक्तजन यहां तेल चढ़ाते हैं, और अपने पहने हुए कपड़े, चप्पल, जूते आदि सभी यहीं छोड़कर घर चले जाते हैं। इसके पीछे ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से पाप और दरिद्रता से छुटकारा मिल जाता है। माना जाता है कि शनिश्चरा मंदिर में शनि शक्तियों का वास है, यहां की प्राकृतिक सुंदरता मन को बहुत लुभाती है। चारों ओर हरियाली ही हरियाली दिखाई पड़ती है।
श्री शनिचरा मंदिर, मध्य प्रदेष शासन धार्मिक न्यास तथा धर्मस्व विभाग क नियन्त्रण का देवस्थान है। श्री शनिचरा मंदिर परिक्षेत्र को एक धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है। गत् वर्षों में यहाँ श्रृद्धालुओं की लगातार बढ़ती संख्या को देखते हुए अनेकों विकास कार्य एवं सुविधाओं का विस्तार किया गया है। प्रति शनिवार को मंदिर में हजारों की संख्या में श्रृद्धालु विभिन्न राज्यों - मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, बिहार, गुजरात तथा विदेशों में नेपाल, श्रीलंका, न्यूजीलेण्ड से आते हैं। शनीचरी अमावस्या पर यहाँ विशेष मेले का आयोजन होता है, जिसमें लाखों की संख्या में श्रृद्धालु आते हैं। शनिचरा पहाड़ी को एक सुदर, सौम्य व हरित् पहाड़ी बनाने, अनेक प्रकार की यात्री सुविधाओं का विस्तार करन, जैसे- पृथक बड़े स्नान कुण्ड, आदि का समर्पण स्थल, वस्त्र समर्पण स्थल, नीचे से पीने के पानी की सुविधा, धर्मशलाऐं आॅडिटोरियम, मार्केट शोध एवं आध्यात्मिक केन्द्र तथा रोप-वे की योजना विचाराधीन है।
शनिश्चरा मंदिर कैसे पहुँचे:
ग्वालियर से शनिश्चरा जाने का गूगल मैप लिंक
रेलवे टाइम टेबल: साभार क्लियरट्रिप
अगर आप सड़क से यहाँ जाना चाहते हैं तो शनिवार के अलावा आपको यहाँ जाने के लिए अपने ही साधन का उपयोग करना होगा।
एयरपोर्ट रोड से ग्वालियर बाईपास होते हुए हम लोग शनिचरा रेलवे स्टेशन से आगे बढ़ते हुए पर्वत की तरफ बढ़ने लगे, धीरे धीरे ऊंचाई पर बाइक आराम से चढ़ रही थी, यहाँ पर्वत के शुरू में ही काफी ऊंचाई पर एक मंदिर है जिसके रोड से ही दर्शन करते हुए हम लोग आगे मुख्य मंदिर की तरफ बढ़ दिए, थोड़ा आगे चलकर मध्यप्रदेश टूरिज्म का एक बोर्ड दिखा जिस पर दिशा सूचक लगे हुए थे, शनि मंदिर सीधे, मितावली पढ़ावली बाएं, हम सीधे चलते हुए शनि मंदिर के मुख्य द्वार पर पहुँच गए। मुख्य द्वार के बगल से बाइक खड़ी की और वही पास ही एक दुकान पर प्रसाद लेने पहुँच गए।
शनि मंदिर मुख्य द्वार।
इस स्थान पर मैं आज से करीब 15 साल पहले पिताजी और बड़े भाई के साथ आया था, तब ग्वालियर से भिंड छोटी ट्रैन चलती थी जो की मीटर गेज थी। उस यात्रा में हम पिताजी के एक छात्र के यहाँ रुके थे, उसका गाँव यहीं शनि पर्वत के समीप कहीं था, प्रकृति को अच्छे से महसूस करने का मौका मिला था तब। बहुत धुंधली सी स्मृतियाँ थी उस यात्रा की मेरे ज़हन में, खैर तब से अब सब कुछ बदल गया था, तब यहाँ सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं था, जबकि अब तो यहाँ पर यात्री विश्रामालय, गौशाला, सरकारी रेस्ट हाउस, मंदिर में पूल आदि बन चुके हैं।
कुछ ऐसा दिखता है मंदिर प्रांगण।
मंदिर प्रांगण से शनि पर्वत का दृश्य।
प्रसाद लेकर हम लोग मंदिर की तरफ चल दिए, शनिचरी अमावस्या के दिन यहाँ लाखों की भीड़ आती है उसको संभालने के सभी इंतजाम यहाँ उपलब्ध थे, मगर उस दिन वहाँ पर भीड़ न के बराबर थी तो हम लोग सीधे मंदिर दर्शन को पहुँच गए। शनि देव के इस मंदिर की एक और खासियत है की एक दम सूखे इस पहाड़ में साल के 365 दिन एक ही धार से पानी की धारा निरंतर बहती रहती है जो की शनि देव की प्रतिमा से ठीक नीचे एक कुंड में जाकर गिरती है। ऐसी मान्यता है की इस कुंड के पानी के स्नान से अनेक असाध्य रोग ठीक हो जाते हैं। पहले जब में यहाँ आया था तब यहाँ पर प्राकृतिक कुंड था, भक्तों द्वारा चढ़ाया जाना वाला तेल का कुछ हिस्सा इस पानी में भी आ जाता था, मगर अब उस कुंड के स्थान पर एक पक्का पूल बना हुआ था जहाँ आप आराम से स्नान कर सकते हैं।
मंदिर प्रांगण में स्थित कुण्ड।
मंदिर प्रांगण में मौजूद अन्य मंदिरों के दर्शन के बाद हम लोग मुख्य मंदिर के अंदर पहुँच गए, द्वार के थी सामने आदमकद मूर्ति लगी हुई थी। जब में इसके पहले यहाँ आया था तब मूर्ति पर सीधे ही तेल चढ़ाने की व्यवस्था थी मगर अब तेल चढ़ाने के लिए मूर्ति के दोनों तरफ दो कटोरेनुमा बर्तन लगा दिए गए हैं इनसे होकर तेल पाइपलाइन के द्वारा मूर्ति तक पहुँच जाता है। तेल चढाने के बाद विधिवत पूजा अर्चना की और मंदिर से बाहर आकर मंदिर प्रांगण में मौजूद बजरंग बलि था अन्य मंदिरों के भी दर्शन करे।
मंदिर स्थित मुख्य मूर्ति। जय शनि देव महाराज।
मंदिर प्रांगण में स्थित अन्य मंदिरों के दर्शन।
दर्शन के बाद कुण्ड में जाकर पवित्र धारा की कुछ छींटें अपने शरीर पर डाले और फिर कुण्ड से बाहर आकर मंदिर प्रांगण के पीछे से दिखते पहाड़ को निहारने लगे और पिताजी पिछली यात्रा यादें मुझसे साझा करने लगे, कुछ मुझे याद थीं, कुछ में भूल गया था, मुझे लग रहा था जैसे मैं अपने पुराने दिन फिर से जी रहा हूँ।
मंदिर दर्शन वीडियो के द्वारा।
थोड़ी देर यहाँ रुकने के बाद वापिस बाहर की तरफ चल दिए, बाहर एक और मंदिर थे उसके दर्शन किए, गौशाला में अपनी सामर्थ अनुसार दान दिया जो की मैं हमेशा करता हूँ। प्रसाद की टोकरी वापिस करने के बाद बाइक फिर से चालू की आगे बढ़ने के लिए तभी पिताजी ने बताया की यहाँ पास ही एक और अच्छा मंदिर है जो अभी कुछ दिन पहले ही बना है उस तरफ बाइक ले चलो, आदेश का पालन किया और अब हम पहुँच गए "पौड़े सरकार" नामक एक बेहद ही खूबसूरत हनुमान मंदिर पर। पिताजी के साथ घूमने से एक बात तो समझ आ रही थी को जो अनुभव उम्र के साथ होता है वो और किसी तरह से नहीं हो सकता चाहे वो घुमक्कड़ी का हो या ज़िन्दगी का।
पौड़े सरकार में बजरंग बलि की प्रतिमा जिसमें उन्हें विश्राम की मुद्रा में दिखाया गया है।
पौड़े सरकार शनि पर्वत पर बनाया गया एक बेहद खूबसूरत हनुमान मंदिर हैं जहाँ मंदिर के समीप ही एक छोटा सा आश्रम भी है, इस मंदिर की विशेषता ये है की यहाँ बजरंग बलि की प्रतिमा खड़े हुए की न होकर विश्राम की मुद्रा में दिखाया गया है। मैंने बजरंग बलि का ये रूप पहली बार देखा था तो मेरे आश्चर्य का ठिकाना नहीं था। यहाँ के दर्शन करने और कुछ तस्वीरें निकालने के पश्चात पिताजी ने मुझे वहीँ पास स्थित शिवजी के मंदिर चलने को कहा जो की यहाँ से मात्र 20 कदम की दूरी पर था,वहाँ भी मुझे कुछ ऐसा देखने को मिला जिसको देखकर मैं आश्चर्य चकित हो गया।
शिवजी अर्धनारीश्वर रूप में।
इस मंदिर में बाहर एक काफी बड़ा शिवलिंग और नंदी बैठे हुए थे, और मंदिर के अंदर थी एक आदमकद प्रतिमा जिसमें शिवजी अर्धनारीश्वर रूप में मौजूद थे, आधे शिव आधी पार्वती। गज़ब की थी ये मूर्ति, मैं थोड़ी देर तक इसको एक टक देखता रहा फिर मूर्ति के सामने नतमस्तक होकर प्रणाम किया और मंदिर से बाहर आ गया। सामने शनि पर्वत का बेहद खूबसूरत नज़ारा था, यहाँ से वापिस बाइक की तरफ चल दिए, अगला पड़ाव होगा बटेश्वर, जहाँ जाने की वजह से इस यात्रा पर निकले थे।
इस यात्रा की सारी तस्वीरें यहाँ उपलब्ध हैं।
फिर मिलेंगे कहीं किसी रोज़ घूमते फिरते।
#MP_ka_blogger
#floatingshoes
Location: Morey Plains to Leh
Published On: 24-Nov-2019
Location: Jispa, Himachal Pradesh to Morey Plains
Published On: 09-Nov-2019
Location: Rohtang Pass to Jispa
Published On: 22-Sep-2019
Location: Manali, Himachal Pradesh, India
Published On: 01-Sep-2019
Location: Ladakh
Published On: 25-Aug-2019
Location: Sri Aadi Badrinath Dham Road, Alipur, Rajasthan, India
Published On: 02-Jul-2019
Location: Agra, Uttar Pradesh, India
Published On: 24-May-2019
Location: Kalyasaur, Uttarakhand, India
Published On: 08-May-2019
Location: Dhokane Waterfall, Dhukane, Uttarakhand, India
Published On: 03-May-2019
Location: Rishikesh, Uttarakhand, India
Published On: 19-Apr-2019
Location: Indian Institute of Advanced Study, Shimla
Published On: 08-Apr-2019
Location: Army Heritage Museum, Annadale Rd, Annadale, Shimla, Himachal Pradesh 171003
Published On: 29-Mar-2019
Location: Mall Road, The Mall, Shimla, Himachal Pradesh, India
Published On: 22-Mar-2019
Location: Jakhu, Shimla, Himachal Pradesh, India
Published On: 17-Mar-2019
Location: Narkanda, Himachal Pradesh, India
Published On: 03-Mar-2019
Location: Shimla, Himachal Pradesh, India
Published On: 28-Feb-2019
Location: Kalka, Himachal Pradesh, India
Published On: 23-Feb-2019
Location: Shimla, Himachal Pradesh, India
Published On: 15-Feb-2019
Location: Ratangarh, Madhya Pradesh, India
Published On: 31-Jan-2019
Location: Tehri Dam, Uttarakhand, India
Published On: 27-Jan-2019
Location: Shri Mata Vaishno Devi Katra, Katra, Jammu and Kashmir
Published On: 24-Jan-2019
Location: ISKON NOIDA, Block A, Sector 32, Noida, Uttar Pradesh, India
Published On: 19-Jan-2019
Location: Kanatal, Kaudia Range, Uttarakhand, India
Published On: 15-Jan-2019
Location: Chitrakoot, Madhya Pradesh, India
Published On: 07-Jan-2019
Location: Bhojpur Temple, Bhojpur Road, Bhojpur, Madhya Pradesh, India
Published On: 28-Dec-2018
Location: Bhimbetka rock shelters
Published On: 22-Dec-2018
Location: Padavali, Madhya Pradesh, India
Published On: 13-Dec-2018
Location: Bateshwar Temple, near mitawali padawali banmore, Morena, Madhya Pradesh
Published On: 06-Dec-2018
Location: Shanichra Road, Maharajpura, Gwalior, Madhya Pradesh, India
Published On: 28-Nov-2018
Location: Almora, Uttarakhand, India
Published On: 25-Nov-2018
Location: Vriddha Jageshwar Rd, Digari Gunth, Uttarakhand 263623, India
Published On: 21-Nov-2018
Location: Jageshwar Dham, Uttarakhand, India
Published On: 17-Nov-2018
Location: Almora, Uttarakhand, India
Published On: 16-Nov-2018
Location: Sankua Bridge, Seondha, Madhya Pradesh, India
Published On: 08-Sep-2018
Location: Kurukshetra, Haryana, India
Published On: 03-Sep-2018
Location: Shri Mata Vaishno Devi Katra, Katra, Jammu and Kashmir
Published On: 30-Jul-2018
Location: Shri Mata Vaishno Devi Katra, Katra, Jammu and Kashmir
Published On: 30-Jul-2018
Location: Madhya Pradesh, India
Published On: 27-Jun-2018
Location: Rishikesh, Uttarakhand, India
Published On: 19-Jun-2018
Location: New Delhi, Delhi, India
Published On: 17-Jun-2018
Location: Kakanmath Shiv Temple, Bawadipura, Madhya Pradesh, India
Published On: 16-Jun-2018
Location: Sultangarh Waterfall Road, Patheka, Madhya Pradesh, India
Published On: 16-Jun-2018
Location: Mathura, Uttar Pradesh, India
Published On: 10-Jun-2018
Location: Ujjain, Madhya Pradesh, India
Published On: 09-Jun-2018
Location: Mathura, Uttar Pradesh, India
Published On: 07-Jun-2018
Location: Govardhan, Uttar Pradesh, India
Published On: 05-Jun-2018
Location: Pachmarhi, Madhya Pradesh, India
Published On: 26-May-2018
Location: Pachmarhi, Madhya Pradesh, India
Published On: 20-May-2018
Location: Behat, Gwalior, Madhya Pradesh, India
Published On: 06-May-2018
Location: Rishikesh, Uttarakhand, India
Published On: 03-May-2018
Location: Diu, Daman and Diu, India
Published On: 15-Apr-2018
Location: Diu, Daman and Diu, India
Published On: 11-Apr-2018
Location: Padhavali, Madhya Pradesh, India
Published On: 07-Apr-2018
Location: Padhavali, Madhya Pradesh, India
Published On: 01-Apr-2018
Location: Akshardham Temple, Pandav Nagar, Delhi
Published On: 31-Mar-2018
Location: Gwalior, Gwalior Fort, Gwalior, Madhya Pradesh, India
Published On: 07-Mar-2018
Location: Chopta, Uttarakhand, India
Published On: 17-Feb-2018
Location: Chopta, Uttarakhand, India
Published On: 11-Feb-2018
Location: Chopta, Uttarakhand, India
Published On: 03-Feb-2018
Location: Garhmukteshwar, Uttar Pradesh, India
Published On: 21-Jan-2018
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