किन्ही कारणों से अभी ये ब्लॉग इंग्लिश भाषा में उपलब्ध नहीं है। बहुत जल्द इंग्लिश भाषा में भी उपलब्ध कराने का प्रयास करूँगा।
For some reason this blog is not available in English. I will try to make it available in English soon.
अभी कुछ दिन पूर्व मुझे वैष्णो देवी जाने का सुअवसर प्राप्त हुआ, इस यात्रा के लिए मैंने किसी खास तरह की तैयारी नहीं की थी जिसका नतीज़ा ये हुआ की मैं माता के दर्शन के बाद किन्ही कारणों से भैरव मंदिर नहीं जा पाया। इस ब्लॉग के माध्यम से मैं आपको अपने निजी अनुभव के आधार पर वैष्णो देवी यात्रा की सम्पूर्ण जानकारी देने की कोशिश कर रहा हूँ ताकि जो दिक्कतें मुझे हुईं उनसे आपको रूबरू न होना पड़े और आप इस यात्रा को पूरा करके ही वापिस आएं।
वैष्णो देवी मंदिर (हिन्दी: वैष्णोदेवी मन्दिर), शक्ति को समर्पित एक पवित्रतम हिंदू मंदिर है, जो भारत के जम्मू और कश्मीर में त्रिकूट पर्वत पर स्थित है। हिंदू धर्म में वैष्णो देवी, जो माता रानी और वैष्णवी के रूप में भी जानी जाती हैं, देवी मां का अवतार हैं। मंदिर, जम्मू और कश्मीर राज्य के जम्मू जिले में कटरा नगर के समीप अवस्थित है। यह उत्तरी भारत में सबसे पूजनीय पवित्र स्थलों में से एक है। मंदिर, 5,200 फ़ीट की ऊंचाई और कटरा से लगभग 12 किलोमीटर (7.45 मील) की दूरी पर स्थित है। हर साल लाखों तीर्थयात्री मंदिर का दर्शन करते हैं और यह भारत में तिरूमला वेंकटेश्वर मंदिर के बाद दूसरा सर्वाधिक देखा जाने वाला धार्मिक तीर्थ-स्थल है। इस मंदिर की देख-रेख श्री माता वैष्णो देवी तीर्थ मंडल द्वारा की जाती है। तीर्थ-यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए उधमपुर से कटरा तक एक रेल संपर्क बनाया गया है।
मंदिर की कहानी: जानकारी स्त्रोत
माता वैष्णो देवी को लेकर कई कथाएँ प्रचलित हैं। एक प्रसिद्ध प्राचीन मान्यता के अनुसार माता वैष्णो के एक परम भक्त श्रीधर की भक्ति से प्रसन्न होकर माँ ने उसकी लाज रखी और दुनिया को अपने अस्तित्व का प्रमाण दिया। एक बार ब्राह्मण श्रीधर ने अपने गाँव में माता का भण्डारा रखा और सभी गाँववालों व साधु-संतों को भंडारे में पधारने का निमंत्रण दिया। पहली बार तो गाँववालों को विश्वास ही नहीं हुआ कि निर्धन श्रीधर भण्डारा कर रहा है। श्रीधर ने भैरवनाथ को भी उसके शिष्यों के साथ आमंत्रित किया गया था। भंडारे में भैरवनाथ ने खीर-पूड़ी की जगह मांस-मदिरा का सेवन करने की बात की तब श्रीधर ने इस पर असहमति जताई। अपने भक्त श्रीधर की लाज रखने के लिए माँ वैष्णो देवी कन्या का रूप धारण करके भण्डारे में आई। भोजन को लेकर भैरवनाथ के हठ पर अड़ जाने के कारण कन्यारूपी माता वैष्णो देवी ने भैरवनाथ को समझाने की कोशिश की किंतु भैरवनाथ ने उसकी एक ना मानी। जब भैरवनाथ ने उस कन्या को पकड़ना चाहा, तब वह कन्या वहाँ से त्रिकूट पर्वत की ओर भागी और उस कन्यारूपी वैष्णो देवी हनुमान को बुलाकर कहा कि भैरवनाथ के साथ खेलों मैं इस गुफा में नौ माह तक तपस्या करूंगी। इस गुफा के बाहर माता की रक्षा के लिए हनुमानजी ने भैरवनाथ के साथ नौ माह खेला। आज इस पवित्र गुफा को 'अर्धक्वाँरी' के नाम से जाना जाता है। अर्धक्वाँरी के पास ही माता की चरण पादुका भी है। यह वह स्थान है, जहाँ माता ने भागते-भागते मुड़कर भैरवनाथ को देखा था। कहते हैं उस वक्त हनुमानजी माँ की रक्षा के लिए माँ वैष्णो देवी के साथ ही थे। हनुमानजी को प्यास लगने पर माता ने उनके आग्रह पर धनुष से पहाड़ पर एक बाण चलाकर जलधारा को निकाला और उस जल में अपने केश धोए। आज यह पवित्र जलधारा 'बाणगंगा' के नाम से जानी जाती है, जिसके पवित्र जल का पान करने या इससे स्नान करने से भक्तों की सारी व्याधियाँ दूर हो जाती हैं। त्रिकुट पर वैष्णो मां ने भैरवनाथ का संहार किया तथा उसके क्षमा मांगने पर उसे अपने से उंचा स्थान दिया कहा कि जो मनुष्य मेरे दर्शन के पशचात् तुम्हारे दर्शन नहीं करेगा उसकी यात्रा पूरी नहीं होगी। अत: श्रदालु आज भी भैरवनाथ के दर्शन को अवश्य जाते हैं।
कैसे जाएं: वैष्णो देवी जाने के लिए सम्पूर्ण भारत से साधन उपलब्ध हैं, मैं दिल्ली को केंद्र मानकर आपको यहाँ तक जाने की जानकारी दे रहा हूँ।
वायु मार्ग: दिल्ली से जम्मू के लिए काफी सारी फ्लाइट्स उपलब्ध हैं, थोड़ा पहले से बुकिंग कराने पर आपको काफी कम रेट में फ्लाइट की टिकट मिल जाएगी।
रेल मार्ग: जम्मू राज्य के लिए सम्पूर्ण भारत से कई सारी ट्रैन उपलब्ध हैं, अभी कुछ दिन पहले कटरा तक का रेलमार्ग चालू हो गया है तो आप अब ट्रैन से सीधे कटरा तक भी जा सकते हैं। दिल्ली से कटरा सबसे कम समय लेने वाली ट्रेनों में प्रमुख हैं: दिल्ली - कटरा राजधानी एक्सप्रेस (प्रीमियम श्रेणी), दिल्ली - कटरा उत्तरप्रदेश संपर्कक्रांति (सामान्य श्रेणी) आदि। ये ट्रैन क्रमशः 11 से 12 घण्टे में आपको दिल्ली से कटरा पहुँच देती हैं और सबसे अच्छी बात ये है की इनके फेरे प्रतिदिन है और इनका सफर रात्रि भर का है।
सड़क मार्ग: दिल्ली से जम्मू के लिए हरयाणा, दिल्ली, राजस्थान, जम्मू आदि राज्यों की सरकारी बस सेवाएं उपलब्ध हैं जिसके अंतर्गत सामान्य और वॉल्वो बसें लगाकर इस रूट पर चलती रहती हैं। इसके अलावा प्राइवेट स्लीपर बसें भी दिल्ली से जम्मू के लिए रात्रि में चलती हैं।
माता वैष्णोदेवी के दर्शन करने के लिए सबसे पहले आपको कटरा तक पहुंचना पड़ता है जो जम्मू कश्मीर में स्थित है। जम्मू से कटरा की दूरी 50 किमी है जिसे आप टैक्सी या बस द्वारा 2 घण्टे में पूरा कर सकते हैं। ये रास्ता बेहद ही खूबसूरत है, जो नया ट्रैन रूट अभी कुछ दिन पहले चालू हुआ है उससे सड़क मार्ग कई जगह दिखाई देता है। ये ट्रैन रूट भी बेहद खूबसूरत है जिस पर ट्रैन करीब 15 20 सुरंगों से होकर निकलती है जो की अपने आप में एक बेहद ही सुखद अनुभव है।
कुछ ऐसा था जम्मू से कटरा के बीच का नज़ारा।
यात्रा से पहले की तैयारी:
अगर आप भी मेरी तरह बैठे की जॉब करते हैं और आपका मन कटरा से अर्धकुंवारी होते हुए माता के भवन और वहाँ से भैरव तक पैदल जाने का है तो आप यात्रा के 2 महीने पहले से रोज़ करीब 3 4 किलोमीटर पैदल चलना शुरू कर दें अन्यथा इस यात्रा को पैदल पूरा करना आपके लिए काफी मुश्किल होगा।
वैष्णो देवी पर पूरी साल भक्तों का ताँता लगा रहता है तो कोशिश करें की ट्रैन के टिकट करीब 2 महीने पहले ही बुक करवा लें अन्यथा आपको तत्काल की सुविधा लेनी होगी जिसके लिए आपको अतिरिक्त पैसे देने पड़ेंगे और कन्फर्म बुकिंग मिलने की सम्भावना भी कम होगी।
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है की आप कितनी भी कोशिश कर लें जब तक आपको माता का बुलावा नहीं आता आप लाख कोशिशों के बावजूद माता के दर्शन को नहीं जा पाएंगे (मैं व्यक्तिगत तौर पर इस बात को मानता हूँ, मैं 2011 से यहाँ जाने का प्रयास कर रहा हूँ मगर जाना 2018 में हो पाया)। तो अगर आपका प्लान किन्ही कारणों से बार बार कैंसिल हो रहा है तो इसे माता की मर्जी मानकर परेशान न हों, जब आपका बुलावा आएगा तब बाकि सारी व्यवस्थाएं अपने आप हो जाएंगी (ऐसा मैंने और मेरे जैसे कई भक्तों ने महसूस करा है)।
यात्रा पर्ची:
वैष्णो देवी की यात्रा के लिए आपको यात्रा पर्ची लेना जरुरी होता है, ये यात्रा पर्ची ठीक उस पास या टिकट ही तरह है जिसके न होने पर आप ट्रैन में यात्रा नहीं कर सकते। इस यात्रा पर्ची को आप ऑनलाइन या कटरा पहुँच कर ले सकते हैं, ऑनलाइन यात्रा पर्ची लेने के लिए आप वैष्णो देवी की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाकर अपना अकाउंट बना कर प्राप्त कर सकते हैं, इस पूरी प्रक्रिया में आपसे कुछ जरुरी जानकारी माँगी जाती है और कुल मिलकर 10 या 15 मिनट में ये पूरी प्रक्रिया हो जाती है, उसके बाद यात्रा पर्ची आपके अकाउंट में उपलब्ध हो जाती है जिसका प्रिंटआउट निकालकर आपको यात्रा के दौरान अपने साथ रखना होता है और साथ में वो पहचान पत्र जिसकी जानकारी अपने यात्रा पर्ची में दी है वो अपने साथ रखना आवश्यक है।
काउंटर से ली गयी यात्रा पर्ची अगले 6 घण्टे तक ही मान्य होती है, इसका मतलब उस यात्रा पर्ची को लेने के बाद आपको अगले 6 घण्टे तक बाणगंगा चेकपोस्ट पर करना होगा ऐसी नहीं करने पर आपको फिर से यात्रा पर्ची लेनी होगी जो की अगले 6 घण्टे तक मान्य होगी। इसके विपरीत ऑनलाइन यात्रा पर्ची पूरे एक दिन मान्य होती है।
कटरा रेलवे स्टेशन उन नवनिर्मित स्टेशनों में से है जहाँ तमाम आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं जिसमें प्रमुख हैं एस्केलेटर्स, लिफ्ट आदि। स्टेशन की साफ सफाई देखने लायक है, साफ सफाई बरकरार रखने के लिये यहाँ हर 2 घंटे में साफ सफाई कर्मचारी अपना कार्य करते हैं। प्लेटफार्म पर एक भी खाने पीने की दुकान नहीं है, मगर इसका मतलब ये नहीं है कि यहाँ खाना पीना उपलब्ध नहीं है, ये सारी सेवाएं आपको स्टेशन के अंदर आईआरसीटीसी के रेस्टोरेंट में उपलब्ध हैं। स्टेशन के अंदर 2 मंजिलों पर आईआरसीटीसी के रेस्टोरेंट हैं जहाँ पर अपना मन पसंद खाना खा सकते हैं और साथ ही पैक भी करा सकते हैं।
कटरा रेलवे स्टेशन।
कटरा रेलवे स्टेशन से दिखता त्रिकूट पर्वत का स्वर्ग सामान नज़ारा।
कटरा रेलवे स्टेशन पर स्थित आईआरसीटीसी द्वारा संचालित रेस्टॉरेंट, जहाँ आप खाना खाने के अलावा पैक भी करा सकते हैं।
रेलवे स्टेशन पर भी एक यात्रा पर्ची का काउंटर उप्लब्ध है, अगर आपने ऑनलाइन यात्रा पर्ची नहीं ली है तो आप यहाँ से यात्रा पर्ची ले सकते हैं जो कि पूर्णतः निशुल्क है, तीन वर्ष से ऊपर के प्रत्येक व्यक्ति को यात्रा पर्ची लेना आवश्यक है। स्टेशन परिसर में आईआरसीटीसी द्वारा संचालित एक होटल भी है और एक बहुत बड़ा गिफ्ट सेण्टर भी है।
प्लेटफॉर्म न. 1 से बाहर की तरफ निकल कर नाक की सीध में पूरा त्रिकुट पर्वत और उस पर स्थित अर्धकुंवारी भवन के दर्शन होने लगते हैं। यहाँ से उल्टे हाथ पर स्थित है यहाँ का टैक्सी स्टैंड जहाँ से आपको बाणगंगा चेकपोस्ट तक के लिए टैक्सी या ऑटो मिल जाएंगे। बाणगंगा चेकपोस्ट वो स्थान है जहाँ पर आपके सामान और यात्रा पर्ची की जाँच के बाद चढाई शुरू होती है।
कटरा रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म न. 1 के बहार स्थित टैक्सी स्टैंड, सारे रेट बोर्ड पर लिखे हुए हैं।
सुरक्षा कारणों से जम्मू कश्मीर राज्य में अन्य राज्यों के प्रीपेड सिम कार्ड काम नहीं करते, या तो आपके पास पोस्टपेड हो या फिर आप यहाँ पर एक यात्रा सिम भी ले सकते हैं जो की 200 या 300 रूपये में मिल जाती है और उसमें लगभग उतने ही मूल्य का रिचार्ज भी होता है, इस सिम को लेने के लिए वही कागज लगते हैं जो की किसी अन्य राज्य में लगते हैं।
यात्रा की शुरुआत:
कटरा से इस यात्रा को करने के 3 तरीके हैं: पैदल, घोड़े या पालकी, या हेलीकाप्टर से। कटरा से आप हेलीकाप्टर के द्वारा भी माता के भवन के करीब पहुँच सकते है जिसके लिए आपको तीन महीने पहले ही एडवांस बुकिंग करानी पड़ती है। हेलीकाप्टर की उड़ान वहाँ के मौसम पर निर्भर करती है, अगर मौसम साफ नहीं होता है तो उड़ान रद्द भी हो सकती है। कटरा हेलिपैड मुख्य शहर से कुछ 3.5 किमी की दूरी पर है जहाँ पर आपको उड़ान से दो घंटे पहले पहुंचना पड़ता है। हेलीकाप्टर की बुकिंग आप वैष्णो देवी की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाकर कर सकते हैं। हेलीकाप्टर कटरा से उड़कर आपको 'साँझीछत' पर छोड़ता है, यहाँ से भवन की दूरी कुछ 3 किमी के आसपास है जिसे आप पैदल या घोड़े से कर सकते हैं। हेलीकाप्टर से जाने वाले यात्री को वीआईपी पास भी प्रदान किया जाता है जिससे उनको गेट न.5 से सीधे भवन में प्रवेश मिल जाता है।
बाणगंगा चेकपोस्ट की तरफ जाते हुए त्रिकूट पर्वत का दृश्य।
कटरा समुद्र तल से करीब 2000 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है, और वैष्णो देवी का भवन करीब 5200 फ़ीट की ऊंचाई पर है, ऊंचाई वाली जगहों पर कई लोगों को एक्यूट माउंटेन सिकनेस (AMS) की समस्या होने लगती है, ऐसे लोग स्टेशन से सीधे जाकर चढाई शुरू न करें अन्यथा उन्हें सर में दर्द, चक्कर आना, उल्टी की शिकायत आदि होने लगेगी। ऐसे लोगों या वो लोग जिन्हें चढाई शुरू करने से पहले थोड़े आराम की जरुरत है उनके के लिए मेरा सुझाव है की वे अपने बजट अनुसार कटरा शहर में एक होटल देख लें और वहाँ 2 3 घंटे आराम करने के बाद जब उनका शरीर उस वातावरण के अनुकूल हो जाये तब चढ़ाई शुरू करें।
होटल लेने के लिए आप तमाम सारी ऑनलाइन होटल बुकिंग वेबसाइट की मदद ले सकते हैं या आप सीधे यहाँ आकर भी अपने हिसाब से होटल ले सकते हैं। कटरा स्टेशन से नाक की सीध में कुछ चाय नाश्ते की दुकान हैं, उनके पीछे काफी सारे होटल हैं, इन दुकानों के आसपास आपको काफी सारे लोग दिख जाएंगे जो तमाम होटलों के पम्पलेट लेकर खड़े होंगे, उनसे मोलभाव करके आप होटल बुक कर सकते हैं। या फिर इन दुकानों से उल्टे हाथ पर एक रास्ता बाज़ार की तरफ जाता है उससे आप पैदल चलकर बाज़ार की तरफ पहुँच कर खुद भी होटल ढूंढ सकते हैं।
माता पर चढ़ाये जाने वाले प्रसाद की दुकानें आपको बाज़ार में कई जगह पर मिलेंगी, इसके अलावा माता के भवन के पास श्राइन बार्ड की प्रसाद की दुकानें हैं। कोशिश करें की प्रसाद श्राइन बोर्ड की प्रसाद की दुकानों से ही लें, बाजार के और इनके प्रसाद के दामों में अच्छा खासा अंतर हैं। माता पर सिर्फ चुनरी चढ़ती है, बाकि नारियल वगैरा आपको जस के तस वापिस मिल जाता है, और साथ ही श्राइन बोर्ड की तरफ से हर श्रद्धालु को प्रसाद के रूप में एक मिश्री की पुड़िया भी मिलती है।
बाणगंगा चेकपोस्ट पर सामान और यात्रा पर्ची की जाँच के बाद आपकी यात्रा शुरू हो जाती है, बमुश्किल 200 मीटर आगे जाते ही आपको बाणगंगा के दर्शन होने लगते हैं, यहाँ पर स्नान आदि करने के लिए घाट बने हुए हैं। पूरे रास्ते में तरह तरह की दुकानें हैं जहाँ खाने पीने, प्रसाद आदि सामान मिलता है, इसमें से ज्यादातर दुकानें 24 घंटे खुली रहती हैं। यहाँ से आप सहारे के लिए लकड़ी ले सकते हैं जो की 10 से 20 रूपये में मिल जाती है।
बाणगंगा चेकपोस्ट।
जिन लोगों को पैदल चलने में समस्या है वो लोग यहाँ से आगे की यात्रा घोड़े या पालकी जिसे चार लोग अपने कंधे पर लेकर चलते हैं कर सकते हैं, श्राइन बोर्ड के द्वारा इन सेवाओं के दाम तय हैं और जो की रास्ते में कई जगह बोर्ड पर लिखे हुए हैं। इसके अलावा अगर आपके साथ छोटा बच्चा है तो उसके लिए आपको बच्चों वाली गाड़ी किराये पर मिल जाएगी जिसमें आप अपने बच्चे को आराम से बिठाकर चढाई कर सकते हैं, और अगर आप इस गाड़ी को खींचने में असमर्थ हैं तो उसके लिए भी आपको आदमी मिल जाएगा जो आपके साथ उस गाड़ी को लेकर जाएगा। इसके अलावा आप चाहें बच्चे के लिए पिट्ठू भी कर सकते हैं, जिसमें एक व्यक्ति आपके बच्चे को पीठ पर एक झोलीनुमा कपड़े में बिठाकर लेकर जाएगा, इन सभी सेवाओं के लिए आपको निर्धारित शुल्क देना पड़ता है।
अगर आपका मन है की आप पैदल चढाई करना चाहते हैं मगर आप पूरी चढ़ाई पैदल नहीं कर पाएंगे तो आप शुरुआत पैदल चलने से करें और जहाँ आपको लगने लगे के इसके आगे आप पैदा नहीं चल पाएंगे वहाँ से घोड़ा कर लें, पूरे रास्ते में हर थोड़ी थोड़ी दूरी पर घोड़े वाले मिल जाते हैं।
बाणगंगा दर्शन।
कटरा से 2 रास्ते माता के भवन तक जाते हैं, जिसमे पहला है पुराना मार्ग जहाँ घोड़े, पालकी चलते हैं, दूसरा मार्ग है तारकोटा मार्ग जिसका उद्घाटन 19 मई 2018 को यात्रा को और सुगम बनाने के लिए किया गया है, इस मार्ग पर घोड़े, पालकी वगैरा नहीं चलते इस पर सिर्फ पैदल यात्री जा सकते हैं। ये मार्ग पुराने मार्ग में अर्धकुवारी के पास मिलता है। वहाँ से भी 2 मार्ग भवन की तरफ जाते हैं, एक पुराना मार्ग और एक नया मार्ग जिसका उद्घाटन कुछ दिन पहले हुआ है इस मार्ग से भवन की दूरी पुराने मार्ग की अपेक्षा एक किमी कम है। इस मार्ग पर श्राइन बोर्ड द्वारा बैटरी चलित वाहनों को भी चलाया जाता है, ये सेवा मुख्य्तः वृद्धजन और बीमार व्यक्तिओं के लिए हैं पर अगर आप की स्थिति चलने लायक नहीं है तो आप इससे आगे जा सकते हैं।
बैटरी चलित वाहन और उससे सम्बंधित जानकरी।
अगर आपको अर्धकुवारी के दर्शन करने है तो जाते समय वहाँ नंबर लगाकर जाएं क्यूंकि ज्यादातर समय वहाँ अच्छी खासी भीड़ रहती है तो नंबर आने में 7 8 घंटे लग जाते हैं। पूरी यात्रा में स्थान-स्थान पर जलपान व भोजन की व्यवस्था है। इस कठिन चढ़ाई में आप थोड़ा विश्राम कर चाय, कॉफी पीकर फिर से उसी जोश से अपनी यात्रा प्रारंभ कर सकते हैं। कटरा, भवन व भवन तक की चढ़ाई के अनेक स्थानों पर 'क्लॉक रूम' की सुविधा भी उपलब्ध है, भवन के पास के 'क्लॉक रूम' निशुल्क हैं इसके अलावा अन्य 'क्लॉक रूम' में आप निर्धारित शुल्क पर अपना सामान रखकर यात्री आसानी से चढ़ाई कर सकते हैं। रास्ते में कई जगह मेडिकल सुविधाएं भी उपलब्ध हैं, किसी भी तरह की समस्या की स्थिति में आप इन सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं।
चढाई के दौरान रास्ते में स्थित एक जलपान गृह, जहाँ आप डोसा खा सकते हैं।
माता के भवन के पास भी बाणगंगा पर घाट बने हुए हैं जिन पर स्नान करने के बाद भक्त माता के दर्शन के लिए जाते हैं। भवन में जाने से पहले अपनी घडी, हाथ में पहना कड़ा, जेब में लगा पेन आदि सामान आपको लाकर रूम में रखना होता है, आप अपने साथ सिर्फ पैसे, यात्रा पर्ची, आईडी कार्ड और प्रसाद लेकर भवन जा सकते हैं। मंदिर काफी ऊंचाई पर है तो यहाँ रात में ठीकठाक ठंडक हो जाती है तो कोशिश करें अपने साथ ठण्ड से बचाव के कपडे साथ लेकर जाएं। वैष्णो देवी का मंदिर सम्पूर्ण भारत का एकलौता ऐसा मंदिर है जो 24 घंटे में से 20 घंटे दर्शन के लिए खुला रहता है, सिर्फ 2 घण्टे सुबह और 2 घंटे शाम को मंदिर आरती के लिए बंद होता है।
माता के भवन में होने वाली आरती से सम्बंधित जानकारी।
माता के भवन से भैरव मंदिर कुछ 3 किमी की दूरी पर है, परन्तु चढाई एक दम खड़ी होने के कारण ज्यादातर लोग वहाँ जाने के लिए घोड़े आदि का इस्तेमाल करते हैं जिसका किराया 300 ₹ के आसपास है। ऐसी मान्यता है की अगर आप भैरव मंदिर तक नहीं जाते हैं तो आपकी यात्रा पूरी नहीं होती है। माता के भवन से भैरव मंदिर के लिए रोपवे अब चालू हो गया है जिसका टिकट 100 रु का है, इसका उपयोग करके आप मात्रा 5 मिनट में भैरों मंदिर तक पहुँच सकते हैं, जहाँ पैदल जाने में करीब 2 घण्टे का समय लगता है। रोपवे सेवा केवल दिन में उपलब्ध होगी।
माता के भवन में पहुँचने वाले यात्रियों के लिए जम्मू, कटरा, भवन के आसपास आदि स्थानों पर माँ वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की कई धर्मशालाएँ व होटले हैं, जिनमें विश्राम करके आप अपनी यात्रा की थकान को मिटा सकते हैं, जिनकी पूर्व बुकिंग कराके आप परेशानियों से बच सकते हैं।
माता के भवन के रास्ते में बन्दर कई ज्यादा है, वे किसी को परेशान नहीं करते मगर कभी कभार दर्शन करके वापिस आ रहे श्रद्धालुओं के प्रसाद के थैले छीन लेते हैं। इस स्थिति से बचने के लिए अपने साथ एक कपडे का झोला या बैग साथ लेकर जाएं वापसी में उसी में प्रसाद आदि रख कर लाएं।
मंदिर परिसर में दान देने के लिए दान पेटी और दान जमा करने वाले काउंटर हैं, काउंटर पर दिए गए दान की आपको रसीद मिलती है और साथ ही प्रसाद के काफी सारी पाउच भी मिलती हैं जिन्हे आप अपने नाते रिश्तेदार, दोस्तों में बाँट सकते हैं।
पैदल यात्रा में लगने वाला समय: ये समय वैसे तो आपकी चलने की गति और आपके स्वास्थ पर निर्भर करता है पर फिर भी हम एक औसत समय निकल सकते है जो की कुछ इस प्रकार है:
बाणगंगा चेकपोस्ट से अर्द्धकुवारी - 2:30 से 3:00 घंटे (लगभग)
अर्द्धकुवारी से माता के भवन - 2:30 से 3:00 घंटे (लगभग)
माता के भवन से भैरव - 1:30 से 2:00 घंटे (लगभग)
इसके अलावा दर्शन करने का आधा से एक घंटा अलग रख ले, और अगर आप आरती के समय भवन पहुँचते हैं तो दर्शन करने में आपको करीब 2 घण्टे लग सकते हैं।
आसपास के दर्शनीय स्थल: विकिपीडिया
कटरा व जम्मू के नज़दीक कई दर्शनीय स्थल व हिल स्टेशन हैं, जहाँ जाकर आप जम्मू की ठंडी हसीन वादियों का लुत्फ उठा सकते हैं। जम्मू में अमर महल, बहू फोर्ट, मंसर लेक, रघुनाथ टेंपल आदि देखने लायक स्थान हैं। जम्मू से लगभग 112 किमी की दूरी पर 'पटनी टॉप' एक प्रसिद्ध हिल स्टेशन है। सर्दियों में यहाँ आप स्नो फॉल का भी मजा ले सकते हैं। कटरा के नजदीक शिव खोरी, झज्झर कोटली, सनासर, बाबा धनसार, मानतलाई, कुद, बटोट आदि कई दर्शनीय स्थल हैं।
नोट: इस पूरे ब्लॉग को लिखते वक़्त पूरी सावधानी बरती गयी है ताकि आप तक कोई गलत जानकारी न पहुंचे, फिर भी अगर कोई गलती रह जाती है तो मुझे माता का एक तुच्छ भक्त मानकर माफ़ कर देना और नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स के माध्यम से मुझे बताइयेगा तो मैं उस गलती को जल्द से जल्द सुधारने का प्रयास करूँगा।
"जय माता दी"
फिर मिलेंगे कहीं किसी रोज़ घूमते फिरते।
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