किन्ही कारणों से अभी ये ब्लॉग इंग्लिश भाषा में उपलब्ध नहीं है। बहुत जल्द इंग्लिश भाषा में भी उपलब्ध कराने का प्रयास करूँगा।
For some reason this blog is not available in English. I will try to make it available in English soon.
मैं प्रत्येक शनिवार या रविवार नॉएडा स्थित इस्कॉन मंदिर में सँध्या आरती में शामिल होने जाता हूँ, पहले ये मंदिर मेरे घर से कुछ 1.5 किलोमीटर की दूरी पर था और अब करीब 10 किलोमीटर पर मेरा ये नियम पिछले 2 या 3 साल से यूँही चलता आ रहा है। अभी 2 हफ्ते पहले जब मैं शनिवार को मंदिर गया तो वहाँ एक स्थान पर जहाँ आने वाली यात्रा से सम्बन्धित बैनर लगा होता है मेरी निगाह वहाँ गयी, और मैंने देखा की अगली यात्रा से सम्बंधित बैनर वहाँ लगा हुआ था। आपकी जानकारी के लिए बताना चाहूँगा की इस्कॉन नॉएडा मंदिर से हर 2 3 महीने में धार्मिक यात्राएँ आयोजित की जाती हैं जिसमें श्रद्धालुओं को बहुत ही कम खर्चे में कृष्ण भगवान की लीलाओं से जुड़े अनेकों स्थल की यात्राएँ कराई जाती हैं जिसमें प्रमुख स्थान हैं मथुरा, कुरुक्षेत्र आदि, मैं इनके साथ 4 या 5 बार ऐसी धार्मिक यात्राओं पर जा चूका हूँ, इन यात्राओं का मुख्य उद्देश्य धन कमाना नहीं, कृष्ण भक्ति का प्रचार करना होता है और ये यात्राएं किसी भी वर्ग के महिला, पुरुष के लिए पूर्णतः सुरक्षित होती हैं।
इस बार ये लोग लेकर जा रहे थे - आदि बद्रीनाथ धाम की यात्रा पर जिसमे बद्रीनाथ मंदिर, तप्त (तपस्या) कुंड, योगमाया मंदिर एवं त्रिवेणी संगम शामिल थे।
आदि बद्री का नाम सुनकर मेरे मन में सबसे पहले चमोली उत्तराखंड के आदि बद्री का नाम आया, मगर एक ही दिन में वहाँ जाकर वापिस आना संभव नहीं है इसका मतलब ये कोई और ही स्थान है। बैनर ध्यान से देखा तो उसमें लिखा था - ब्रज का एक मात्र संरक्षित वन, अर्थात ये जगह ब्रज में कहीं है, मैंने तुरंत मोबाइल निकाला और गूगल पर जाकर ये जगह खोजने की कोशिश की तो मेरे हाथ निराश ही लगी और ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि में इस स्थान को मथुरा, उत्तरप्रदेश में ढूँढने की कोशिश कर रहा था जबकि में ये भूल गया था कि ब्रज का काफी हिस्सा राजस्थान में भी आता है। खैर कहीं भी हो ये स्थान, जाना तो था ही तो मैंने इस यात्रा में जाने के लिए अपना रेजिस्ट्रेशन करवा लिया, यात्रा शुल्क 900 रु था जिसमें AC बस से आना जाना, भोजन प्रसादम आदि शामिल था।
यात्रा अक्सर रविवार को रखी जाती है ताकि इसमें ज्यादा से ज्यादा लोग शामिल हो सकें, यात्रा वाले दिन सुबह 5 बजे के करीब बस इस्कॉन नोइडा मंदिर से चलती है और फिर रास्ते मे कहीं एक जगह रोक कर सबको सुबह का नाश्ता दिया जाता है और दिन में किसी एक स्थान पर भोजन प्रसादम का प्रबंध होता है। अगर यात्रा मथुरा या उसके आसपास किसी स्थान की है तो भोजन वृंदावन के इस्कॉन मंदिर से बनकर आता है, जो कि बेहद ही स्वादिष्ट होता है, और हो भी क्यूँ न आखिर वो भगवान का भोग प्रसाद जो होता है।
शनिवार की रात सोने से पहले मैं फोन में सुबह 04:30 का अलार्म लगा के सो गया, वो अलग बात है कि फोन की घंटी बहुत कम थी तो अलार्म सुनाई ही नहीं दिया और मैं 5:15 पर उठा। जल्दी से नहाया धोया और बैग उठा कर बाइक पर सवार हुआ और चल दिया अपने घर से मंदिर की तरफ। अगले 15 मिनट में मैं मंदिर पर था और बाइक वहाँ की पार्किंग में लगा दी, देरी से आने की वजह से मैं सुबह की मंगल आरती में शामिल नहीं हो पाया था, मंदिर के सामने हाथ जोड़े और बस में अपना स्थान ग्रहण किया। इस बार कुल 3 बसें जा रहीं थी जिनमें करीब 120 लोग थे, हर बस में करीब 40 लोग।
5:45 के आसपास सभी बसें चल दीं और कालिंदी कुन्ज से होते हुए हम लोग राष्ट्रीय राजमार्ग - 2 (दिल्ली-मथुरा-आगरा-ग्वालियर) हाईवे पर आ गए और तेज़ी से आगे बढ़ने लगे। इस मार्ग की समस्या ये है कि ये आबादी क्षेत्र से होकर निकला है और थोड़ी थोड़ी दूरी पर टोल टैक्स बूथ है जिस वजह से इस पर अक्सर जाम रहता है, ऐसे ही छोटे मोटे जाम से झुझते हुए हम लोग आगे बढ़ रहे थे।
सुबह के करीब 9 बजे के आसपास सभी बसों को होडल, पलवल, हरियाणा के पास एक स्थान पर रोक गया जिसका नाम था - गौ सेवा धाम हॉस्पिटल, ये स्थान गौ माता की सेवा में बना एक हॉस्पिटल है, जहाँ गौ माता की सेवा की जाती हो वो जगह धाम तो हो ही जाएगी।
गौ सेवा धाम हॉस्पिटल एक झलक में:
गौ सेवा धाम हॉस्पिटल देवी चित्रलेखा जी द्वारा गौ माता की सेवा के लिए शुरू किया गया था जहाँ आसपास के एरिया की पीड़ित, एक्सीडेंट आदि में घायल गायों का इलाज किया जाता है और उनके रहने खाने की व्यवस्था भी की जाती है। इसके अलावा इस हॉस्पिटल में 4 5 एम्बुलेंस भी हैं जो की आसपास के 50 किलोमीटर के दायरे में कहीं भी कोई पीड़ित गाय की जानकारी मिलती है तो तुरंत उस तरफ कुछ कर देती हैं और उस गाय को अस्पताल में लाकर उसका इलाज किया जाता है।
यहाँ पर हम लोगों को नाश्ता दिया जाएगा, यहाँ के कर्मचारी इस्कॉन मंडली से अच्छी तरह परिचित थे और उन्हें हमारे आने की सूचना पहले से दे दी गयी थी तो वो उस हिसाब से तैयार थे। यहाँ पर हाथ मुँह आदि धोकर, सभी लोगों को सामने बने हुए पार्क में एकत्रित होने के लिए बोल दिया गया। उसके बाद नाश्ते का सामान जो कि नोइडा से हमारे साथ बस में आया था वो निकाला गया और सबको नाश्ते में पोहा, चटनी, दही, गुलाब जामुन और जूस की एक छोटी बोतल दी गयी। नाश्ता करने के बाद सब लोग बस में फिर से बैठे और हम चल दिये अपने गंतव्य की तरफ।
हाईवे से उतर कर बस अब कोसी की तरफ जाने वाले रोड पर आ गई थी, इस रोड की हालत काफी हद तक खराब थी। अब गर्मी भी आने पूरे शबाब पर थी, वो तो हम लोग AC बस में थे तो हमें गर्मी का पता नही चल रहा था। थोड़ा आगे बढ़ने के बाद हम लोग कोसी से खामा जाने वाली सड़क पर आ गये थे जो कि काफी खराब थी तो अब काफी धीरे आगे बढ़ रहे थे।
आदि बद्री ब्रज के चौरासी कोस परिक्रमा मार्ग में राजस्थान के डींग के नजदीक स्थित है। मैंने अपनी अनेकों ब्रज की यात्राओं के दैरान ऐसा महसूस किया कि ब्रज का जो हिस्सा उत्तरप्रदेश में है उसके बारे में लोग राजस्थान वाले हिस्से से ज्यादा परिचित हैं, ये बात मुझे इस यात्रा में भी महसूस हुई। रास्ते मे कई जगह आदि बद्री तक जाने के मार्ग के बारे में पूछना पर कुछ लोगों ने ऐसा रास्ता बताया जिस पर एक स्थान के बाद बस से जाना संभव नहीं था तो फिर वापिस आकर दूसरे रास्तों से होकर जाना पड़ा जिस वजह से हम लोगों को अपने गंतव्य तक पहुँचने में करीब 3:30 बज गए थे।
श्री केदारनाथ मंदिर का बोर्ड रास्ते में दिखा था और उसके बाद श्री आदि बद्रीनाथ प्रथम दर्शन।
आदि बद्री पहुँचने के बाद हम सभी ने बस से उतरकर बृज की भूमि को सर माथे लगाया और चल दिये मुख्य मंदिर की तरफ जाने वाले रास्ते पर। ये स्थान पहाड़ों से चारों तरफ से घिरा हुआ है जो कि काफी हद तक बद्रीनाथ की तरह लगता है बस अंतर ये है कि वो बर्फबारी वाले पहाड़ हैं जो बहुत ऊँचे हैं और ये राजस्थान के सूखे पहाड़ हैं और उतने ऊँचे भी नहीं हैं।
बद्रीनाथ या बद्रीनारायण नाम का महत्व:
ये वो स्थान है जहाँ स्वयं विष्णु भगवान ने ने तपस्या की थी और उन्हें नाथ या नारायण के नाम से जाना जाता है, उनकी इस तपस्या के दौरान तपस्या स्थल पर लक्ष्मी जी बद्री के वृक्ष बनकर उनको छाया प्रदान कर रहीं थी इस वजह से ये नाम बद्रीनाथ या बद्रीनारायण हुए।
आदि बद्रीनाथ धाम परिचय:
इस धाम में श्री कृष्ण भगवान ने बाबा नन्द और यशोदा मैया को सभी तीर्थों के दर्शन करवाए थे। बाबा नन्द को 80 वर्ष की आयु तक संतान सुख की प्राप्ति नहीं हुई थी तो उन्होंने सभी तीर्थों की मनौती मांगी थी की संतान सुख की प्राप्ति होने पर वे सभी तीर्थों के दर्शन करेंगे। जब नन्द बाबा ने श्री कृष्ण को इन तीर्थों की यात्रा पर जाने को कहा तो श्री कृष्ण भगवान के आव्हान पर सारे तीर्थ स्वयं इस ब्रिज भूमि पर आ गए थे जो आज भी चौरासी कोस की परिक्रमा मार्ग में विराजमान हैं।
श्री आदि बद्रीनाथ मंदिर की जानकारी।
मंदिर परिसर में पहुँच कर हम सब तप्त कुंड के सामने एकत्रित हुए, इस कुंड में काफी पानी था मगर रुक हुआ होने की वजह से उसमें कई जगह काई लग गयी थी। जिन लोगों को स्नान करना था वो लोग स्नान आदि में लग गए बाकी बचे हुए लोग भोजन प्रसादम की व्यवस्था में क्योंकि हमारे आने के 5 मिनट बाद ही भोजन सामग्री भी एक ऑटो के द्वारा यहाँ आ गयी थी।
श्री आदि बद्रीनाथ मंदिर दर्शन।
भोजन प्रसादम के बाद सभी लोगों को मंदिर के दर्शन करने थे और उसके बाद मंदिर के पीछे बने हॉल में प्रवचन आदि होना था और उसके बाद स्थान भ्रमण। अभी सबसे बड़ी समस्या थी भयानक गर्मी का होना, ऐसे में एक आद घंटे कहीं बिना पंखे के बैठना बड़ा मुश्किल होगा। ख़ैर अब जो भी हो ओखली में सिर दिया तो डरना क्या, हम लोग मंदिर दर्शन को चल दिए, दर्शन के पश्चात प्रवचन के लिए सभी लोग हॉल में एकत्रित होने लगे और दरी बिछाकर बैठने लगे।
मेरा बैठने का मन नहीं था तक मैं वहीं एक तरफ अपना बैग रख कर खड़ा हो गया। जैसे ही प्रवचन शुरू हुए न जाने कहाँ से अचानक से आँधी चलने लगी और अगले 5 मिनट में बादल छा गए और झमाझम बारिश होने लगी, भक्तों की समस्या का समाधान भगवान ने स्वयं कर दिया था। इधर प्रवचन के बाद कीर्तन होने लगे थे और मैं और कुछ भक्तगण कीर्तन का आनंद बारिश में नृत्य करके ले रहे थे, कुल मिलाकर बेहद ही अच्छा दर्शय था।
भ्रमण के दौरान कीर्तन और नृत्य करते सभी भक्तगण।
हर की पौड़ी आश्रम स्थित मनसा देवी मंदिर।
नीलकंठ महादेव मंदिर।
लक्ष्मण जी मंदिर।
श्री गंगोत्री जी एवं श्री यमुनोत्री जी मंदिर।
नर नारायण पर्वत दर्शन।
प्रवचन और कीर्तन के बाद हम सभी लोग भृमण पर निकले और इस दौरान हमारे साथ थे इस्कॉन के आचार्य के अलावा यहाँ के पुरोहित जिन्हें इस जगह के चप्पे चप्पे की जानकारी है। यहाँ से हम सबसे पहले पहुँच गए मनसा देवी मंदिर पर, उत्तराखण्ड के चारों धाम की यात्रा की शुरुआत हरिद्वार में हर की पौड़ी घाट पर स्नान से ही होती है। इसके दर्शन के बाद हमने र्दशन किये दुग्ध कटोरे के, दुग्ध कटोरा ये वो स्थान है जहाँ श्री कृष्ण के समय में दुग्ध की धरा बहा करती थी, जैसे जैसे कलयुग मकी आयु बढ़ती गयी और पुण्य कम होता गया इन सभी चीजों ने अपना असल स्वरुप त्याग दिया और अब इनमें से काफी चीजें आभासी हैं जिन्हें आपको हृदय से महसूस करना होगा। और उसके आगे बढ़ कर हम पहुँच गए नर नारायण पर्वत के दर्शन करने नीलकंठ मंदिर से जो कि एक छोटे से पर्वत के ऊपर बन हुआ था। इस पर्वत पर नीलकंठ मंदिर के अलावा लक्ष्मण जी का मंदिर, यमुनोत्री मंदिर, गंगोत्री मंदिर, राम झूला एवं लक्ष्मण झूला (आभासी) आदि हैं। यहाँ से ध्यान से देखने पर पहाड़ों के बीच एक स्थान पर त्रिवेणी संगम भी दिखाई देता है और सीधे हाथ पर दिखता है नर पर्वत और उल्टे हाथ पर नारायण पर्वत, नर पर्वत का रंग साफ़ है और नारायण पर्वत हल्के से सांवले रंग में है।
श्री आदि बद्री मंदिर के मुख्य द्वार के समीप स्थित एक आश्रम का द्वार।
श्री आदि बद्री मंदिर के मुख्य द्वार के समीप स्थित योग माया मंदिर।
इन सभी स्थानों के दर्शन के बाद सभी लोगों ने अपनी अपनी बसों में अपना स्थान ग्रहण किया और हम लोग करीब शाम के 07:30 बजे ब्रज भूमि से नॉएडा वापसी को चल दिए और करीब रात में 01:30 बजे नॉएडा स्थित इस्कॉन मंदिर पर आकर यात्रा का समापन हुआ।
जय जय श्री राधे।
नोट: इस ब्लॉग में जो भी जानकारी दी गयी है वो मुझे इस्कॉन मण्डली के गुरु लोगों, आदि बद्रीनाथ के आचार्य जी से पता लगी है। अगर आपको लगता है जानकारी के आभाव में कहीं कुछ गलत लिखा है तो मुझे श्री कृष्ण का एक तुच्छ भक्त मानकर माफ़ कर दें और कमेंट बॉक्स के माध्यम से जानकारी देने का कष्ट करें मैं तुरंत उसे सुधारने का प्रयास करूँगा।
फिर मिलेंगे कहीं किसी रोज़ घूमते फिरते।
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Location: Morey Plains to Leh
Published On: 24-Nov-2019
Location: Jispa, Himachal Pradesh to Morey Plains
Published On: 09-Nov-2019
Location: Rohtang Pass to Jispa
Published On: 22-Sep-2019
Location: Manali, Himachal Pradesh, India
Published On: 01-Sep-2019
Location: Ladakh
Published On: 25-Aug-2019
Location: Sri Aadi Badrinath Dham Road, Alipur, Rajasthan, India
Published On: 02-Jul-2019
Location: Agra, Uttar Pradesh, India
Published On: 24-May-2019
Location: Kalyasaur, Uttarakhand, India
Published On: 08-May-2019
Location: Dhokane Waterfall, Dhukane, Uttarakhand, India
Published On: 03-May-2019
Location: Rishikesh, Uttarakhand, India
Published On: 19-Apr-2019
Location: Indian Institute of Advanced Study, Shimla
Published On: 08-Apr-2019
Location: Army Heritage Museum, Annadale Rd, Annadale, Shimla, Himachal Pradesh 171003
Published On: 29-Mar-2019
Location: Mall Road, The Mall, Shimla, Himachal Pradesh, India
Published On: 22-Mar-2019
Location: Jakhu, Shimla, Himachal Pradesh, India
Published On: 17-Mar-2019
Location: Narkanda, Himachal Pradesh, India
Published On: 03-Mar-2019
Location: Shimla, Himachal Pradesh, India
Published On: 28-Feb-2019
Location: Kalka, Himachal Pradesh, India
Published On: 23-Feb-2019
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Published On: 15-Feb-2019
Location: Ratangarh, Madhya Pradesh, India
Published On: 31-Jan-2019
Location: Tehri Dam, Uttarakhand, India
Published On: 27-Jan-2019
Location: Shri Mata Vaishno Devi Katra, Katra, Jammu and Kashmir
Published On: 24-Jan-2019
Location: ISKON NOIDA, Block A, Sector 32, Noida, Uttar Pradesh, India
Published On: 19-Jan-2019
Location: Kanatal, Kaudia Range, Uttarakhand, India
Published On: 15-Jan-2019
Location: Chitrakoot, Madhya Pradesh, India
Published On: 07-Jan-2019
Location: Bhojpur Temple, Bhojpur Road, Bhojpur, Madhya Pradesh, India
Published On: 28-Dec-2018
Location: Bhimbetka rock shelters
Published On: 22-Dec-2018
Location: Padavali, Madhya Pradesh, India
Published On: 13-Dec-2018
Location: Bateshwar Temple, near mitawali padawali banmore, Morena, Madhya Pradesh
Published On: 06-Dec-2018
Location: Shanichra Road, Maharajpura, Gwalior, Madhya Pradesh, India
Published On: 28-Nov-2018
Location: Almora, Uttarakhand, India
Published On: 25-Nov-2018
Location: Vriddha Jageshwar Rd, Digari Gunth, Uttarakhand 263623, India
Published On: 21-Nov-2018
Location: Jageshwar Dham, Uttarakhand, India
Published On: 17-Nov-2018
Location: Almora, Uttarakhand, India
Published On: 16-Nov-2018
Location: Sankua Bridge, Seondha, Madhya Pradesh, India
Published On: 08-Sep-2018
Location: Kurukshetra, Haryana, India
Published On: 03-Sep-2018
Location: Shri Mata Vaishno Devi Katra, Katra, Jammu and Kashmir
Published On: 30-Jul-2018
Location: Shri Mata Vaishno Devi Katra, Katra, Jammu and Kashmir
Published On: 30-Jul-2018
Location: Madhya Pradesh, India
Published On: 27-Jun-2018
Location: Rishikesh, Uttarakhand, India
Published On: 19-Jun-2018
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Location: Mathura, Uttar Pradesh, India
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Location: Ujjain, Madhya Pradesh, India
Published On: 09-Jun-2018
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Location: Govardhan, Uttar Pradesh, India
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Location: Pachmarhi, Madhya Pradesh, India
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Location: Behat, Gwalior, Madhya Pradesh, India
Published On: 06-May-2018
Location: Rishikesh, Uttarakhand, India
Published On: 03-May-2018
Location: Diu, Daman and Diu, India
Published On: 15-Apr-2018
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Published On: 11-Apr-2018
Location: Padhavali, Madhya Pradesh, India
Published On: 07-Apr-2018
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Published On: 01-Apr-2018
Location: Akshardham Temple, Pandav Nagar, Delhi
Published On: 31-Mar-2018
Location: Gwalior, Gwalior Fort, Gwalior, Madhya Pradesh, India
Published On: 07-Mar-2018
Location: Chopta, Uttarakhand, India
Published On: 17-Feb-2018
Location: Chopta, Uttarakhand, India
Published On: 11-Feb-2018
Location: Chopta, Uttarakhand, India
Published On: 03-Feb-2018
Location: Garhmukteshwar, Uttar Pradesh, India
Published On: 21-Jan-2018
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